महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विधायी समितियों का उद्घाटन किया। इसके दो दिन बाद एक समिति विवाद में फंस गई है। बुधवार को एक सरकारी गेस्ट हाउस के कमरे से 1.84 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई, जिसे कथित तौर पर एस्टिमेट्स कमेटी के अध्यक्ष और शिवसेना विधायक अर्जुन खोतकर के निजी सहायक ने बुक किया था। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह पैसा एस्टिमेट्स कमेटी के सदस्यों को रिश्वत देने के लिए था, जिसका काम सरकारी खर्च की जांच करना और बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए उपाय सुझाना है।
मौजूदा विवाद क्या है?
एस्टिमेट्स कमेटी वर्तमान में नंदुरबार और धुले जिलों में किए जा रहे कार्यों की जांच करने के लिए वहां के दौरे पर है। बुधवार को धुले शहर के एक पूर्व विधायक अनिल गोटे ने आरोप लगाया कि धुले में राज्य अतिथि गृह के कमरा 102 में 5 करोड़ रुपये छिपाकर रखे गए थे। उन्होंने दावा किया कि कमरा समिति के अध्यक्ष अर्जुन खोतकर के सरकार द्वारा नियुक्त निजी सहायक किशोर पाटिल के नाम पर बुक किया गया था।
सरकार ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
यह घटना सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात है, खासकर तब जब फडणवीस ने समितियों की घोषणा करते हुए स्वीकार किया कि पहले इनका दुरुपयोग किया गया था। किशोर पाटिल को निलंबित कर दिया गया है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने मामले की औपचारिक जांच के आदेश दिए हैं।
फडणवीस ने कहा, “पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए। यह प्रकरण विधायी समिति के बारे में गंभीर सवाल उठाता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। राज्य विधानमंडल के सम्मान और गरिमा को बनाए रखा जाना चाहिए। इसलिए धन के लेन-देन की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया जाएगा।”
महाराष्ट्र विधानसभा में अलग-अलग 30 समितियां
विधानसभाओं में विधायी समितियों की आवश्यकता समितियां कानून की जांच करने, सरकारी नीतियों की जांच करने और विभागीय कामकाज की देखरेख करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में 30 अलग-अलग समितियां हैं। वित्त और सरकारी खर्च के मामलों में उनमें से सबसे महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति (PAC) और अनुमान समिति हैं। पीएसी सरकारी खर्च की जांच करने और सार्वजनिक धन के उपयोग में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।
एस्टिमेट्स कमेटी मंत्रालयों के बजट अनुमानों की जांच करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निधियों का उपयोग उनके उद्देश्यों के लिए प्रभावी ढंग से किया जा रहा है। समिति अकुशल या अनुचित खर्च में कटौती का सुझाव भी दे सकती है। हालांकि यह नए व्यय का प्रस्ताव नहीं कर सकती है। कमेटी यह यह भी मूल्यांकन करती है कि क्या सरकारी योजनाएं अपेक्षित परिणाम दे रही हैं और किसी भी कमी के लिए सरकारी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग सकती है।
हालांकि समितियों को विधायी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है, लेकिन अधिकारियों को बुलाने और सूचना और रिपोर्ट माँगने की उनकी शक्ति उन्हें संभावित दुरुपयोग के लिए उजागर करती है। पहले भी समिति के सदस्यों पर वित्तीय लाभ के बदले अनियमितताओं को अनदेखा करने के आरोप लगे हैं।
कौन करता है एस्टिमेट्स कमेटी की नियुक्ति?
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष संयुक्त रूप से एस्टिमेट्स कमेटी की नियुक्ति करते हैं। 28 सदस्यों वाली वर्तमान समिति की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई थी, जिसमें विधान सभा और विधान परिषद दोनों का प्रतिनिधित्व था। शिवसेना विधायक अर्जुन खोतकर को समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया। 19 मई को फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानमंडल समितियों 2024-25 के संयुक्त उद्घाटन की अध्यक्षता की। पहले के दुरुपयोग के उदाहरणों को स्वीकार करते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इन समितियों का मार्गदर्शन करने और उन्हें बनाए रखने के लिए एक सामूहिक निर्णय लिया गया था।