महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार को तीन मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का अल्टीमेटम दिया है। तो वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने सोमवार को कहा कि औरंगाबाद में राज ठाकरे द्वारा दिये गये भाषण की जांच होगी और देखा जाएगा कि उसमें क्या-क्या आपत्तिजनक है। उस हिसाब से कार्रवाई होगी।

पाटिल ने कहा कि औरंगाबाद में मनसे प्रमुख राज ठाकरे का भाषण का उद्देश्य समाज को बांटने वाला था। बता दें कि पाटिल ने राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए 3 मई तक की समय सीमा पर अड़े रहने पर अपनी प्रतिक्रिया दी। 2 मई को उन्होंने राज ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई करने का संकेत दिया।

वालसे पाटिल ने कहा कि रविवार को राज ठाकरे द्वारा दिया गया भाषण एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर हमला करने के आसपास केंद्रित था। बता दें कि एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता में सहयोगी है। वहीं मनसे प्रमुख ने शरद पवार पर आरोप लगाया कि वो महाराष्ट्र में जाति की राजनीति करते हैं और उन्हें ‘हिंदू’ शब्द से एलर्जी है।

बता दें कि राज ठाकरे के भाषण पर महाराष्ट्र सरकार की पैनी नजर है। गृह मंत्री वालसे पाटिल ने कहा कि ठाकरे का भाषण समाज में नफरत और विभाजन पैदा करने वाला था। पुलिस उनका भाषण सुनेगी और तय करेगी कि उसमें क्या-क्या आपत्तिजनक है। इसके बाद एक्शन का फैसला लिया जाएगा।

मंत्री पाटिल ने यह भी कहा कि औरंगाबाद के पुलिस आयुक्त देखेंगे कि राज ठाकरे की रैली की अनुमति को लेकर किन शर्तों का उल्लंघन हुआ है। वालसे पाटिल ने कहा कि औरंगाबाद के पुलिस प्रमुख कानूनी राय लेंगे और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट भेजेंगे।

गौरतलब है कि राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद में1 मई को रैली करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि वे मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटाने के लिए अपनी 3 मई की समय सीमा पर अडिग हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो सभी हिंदुओं को धार्मिक स्थलों के बाहर हनुमान चालीसा बजानी चाहिए। मनसे प्रमुख ने कहा था कि अगर योगी सरकार लाउडस्पीकर हटा सकती है, तो उद्धव सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती।