महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में अब संख्या बल के लिहाज से सभी की नजरें 13 निर्दलीय और छोटे-छोटे दलों के 16 विधायकों पर जा टिकी है। जिस तरफ इनका रुझान होगा उनकी सरकार बन सकती है। हालांकि, दोनों धड़ों द्वारा उनके समर्थन का दावा किया जा रहा है। बीजेपी दावा करती रही है कि निर्दलीय और छोटे दलों के 15 विधायकों का समर्थन उसे हासिल है। इसी बल पर देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को तोड़कर सरकार बना ली मगर असलियत में इसका पता फ्लोर टेस्ट में ही हो सकेगा।
बीजेपी के पास कुल 105 विधायक हैं। अगर 15 निर्दलीय विधायक उसे समर्थन करते हैं तो बीजेपी का आंकड़ा बढ़कर 120 हो जाएगा। कहा जा रहा है कि अधिकांश एनसीपी विधायक शरद पवार के खेमे में चले गए हैं। ऐसे में अगर सिर्फ पांच विधायक अजित पवार के साथ रहते हैं तब भी यह आंकड़ा 125 तक ही पहुंच सकेगा जबकि बहुमत के लिए 288 सदस्यों वाली विधान सभा में 145 विधायकों की दरकार है।
भाजपा का समर्थन करने वाले विधायकों में निर्दलीय रवि राणा (बडनेरा), किशोर जोरगेवार (चंद्रपुर), गीता जैन (मीरा भयंदर), महेश बाल्दी (उरण), संजय शिंदे (करमाला), राजेंद्र राउत (बरशी), पाकाश अवडे (इचलकरंजी), और राजेंद्र पाटिल (शिरोल) शामिल हैं। इनके अलावा बीजेपी पीडब्ल्यूपी विधायक श्यामसुंदर शिंदे (लोहा), राष्ट्रीय समाज पक्ष के रत्नाकर गुट्टे (गंगाखेड), भीसर से राजेश पाटिल, नालासोपारा से क्षितिज ठाकुर, वसई से हितेंद्र ठाकुर, बहुजन विकास अगाड़ी (बीवीए) के सभी और जन सुराज शक्ति पार्टी की शाहूवादी विधायक विनायक कोरे के समर्थन का भी दावा करती है।
उधर, अचलपुर विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी (PJP) प्रमुख बच्चू कडू, जिन्होंने कई दिन पहले शिवसेना को समर्थन पत्र दिया था, रविवार को बताया कि वह और उसके दो विधायक सहयोगियों ने उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना को समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। क्रान्तिकारी शतकरी पक्ष (केएसपी) विधायक शंकरराव गदाख ने भी शिवसेना को समर्थन का पत्र दिया है। इनके अलावा आशीष जायसवाल (रामटेक), नरेंद्र भोंडेकर (भंडारा), मनीला गावित (सकरी) और चंद्रकांत पाटिल (मुक्तसागर) का भी समर्थन शिवसेना को मिल रहा है।
विधानसभा में अन्य दलों में ओवैसी की एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी शामिल है जिनके दो-दो विधायक हैं। इनके अलावा सीपीएम, एमएनएस, आरएसपी और स्वाभिमानी पक्ष के एक-एक विधायक हैं। फिलहाल इन दलों ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। बता दें कि 24 अक्टूबर को घोषित नतीजों में बीजेपी को 105 सीटें मिलीं, उसके बाद शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के 49 (पांच अजित गुट) विधायकों को मिला दें तो यह आंकड़ा 149 तक पहुंच जाता है। शिवसेना को फिलहाल आठ अन्य विधायकों का भी समर्थन हासिल है। ऐसे में यह आंकड़ा 157 तक बढ़ जाता है।
यदि सभी निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक, जिनकी संख्या 29 है, बीजेपी को समर्थन करते हैं, तब भी बीजेपी का कुल आंकड़ा (105+29) 134 होता है। अजित पवार के पांच विधायक के समर्थन के बाद यह आंकड़ा 139 तक पहुंच जाता है, जो कि बहुमत से 6 अंक कम है। गौरतलब है कि 8 निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक शिवसेना को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।