महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में बनी सरकार का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। बीजेपी के लिए राहत की बात यही रही कि सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट की तारीख नहीं तय की। विपक्ष के वकीलों ने तत्काल बहुमत परीक्षण कराने की मांग की थी।

उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी तत्काल जरूरी संख्यालबल जुटाने में लग गई। बता दें कि 105 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। उसे 288 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सदस्यों का आंकड़ा हासिल करना है। यानी उसे 40 विधायकों का समर्थन चाहिए।

बीजेपी बाहरी तौर पर यह भरोसा जाहिर कर रही है कि अजीत पवार की अगुआई वाली एनसीपी के धड़े के साथ वो जरूरी संख्याबल जुटा लेगी। हालांकि, अंदरखाने की खबर है कि पार्टी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ शुरू कर दिया है। बीजेपी के इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी चार सीनियर नेताओं को सौंपी गई है। ये नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल, गणेश नाइक, बबनराव पंचपुटे और नारायण राणे हैं।

बता दें कि ये चारों नेता हाल ही में विपक्षी पार्टियों से बीजेपी में शामिल हुए हैं। पाटिल और राणे कांग्रेस से आए हैं, जबकि नाइक और पंचपुटे एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए। सूत्रों का दावा है कि इन नेताओं के अपनी पुरानी पार्टी के सदस्यों और दूसरे छोटे दलों से ‘आत्मीय रिश्ते’ बहुमत परीक्षण के वक्त बीजेपी के लिए बेहद अहम साबित होंगे।

शनिवार को सरकार बनाने का दावा करते हुए फडणवीस ने 105 बीजेपी विधायकों जबकि डिप्टी सीएम अजीत पवार ने अपने समर्थन में 54 एनसीपी विधायकों की सूची सौंपी थी। बीजेपी अपने साथ 14 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा कर रही है। बीजेपी यह भी कह रही है कि अजीत पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता के पद से हटाना कानूनी तौर पर वैध नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि दल बदल कानून के दायरे में आने से बचने के लिए बीजेपी-अजीत पवार सरकार के सामने एकमात्र जरिया यही है कि एनसीपी को पूर्ण ईकाई के तौर पर पेश किया जाए और अजीत पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता साबित किया जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, किसी तरह के कानूनी या संवैधानिक पचड़े से बचने के लिए बीजेपी कुछ विधायकों से संपर्क कर उन्हें मना सकती है कि वे विश्वास मत के दौरान सदन से अनुपस्थित हो जाएं।

बीजेपी के एक सूत्र ने बताया कि बहुमत का आंकड़ा 145 से घटाकर नीचे लाने की रणनीति पर विचार हो रहा है। सूत्र के मुताबिक, 2014 में बीजेपी ने 122 विधायकों के साथ विश्वास मत जीता था। 41 सदस्यों वाली एनसीपी इस दौरान अनुपस्थित रही थी। इस वजह से बहुमत का आंकड़ा 128 पर पहुंच गया था। बीजेपी को 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला और उसने विश्वास मत हासिल कर लिया।

वहीं, बीजेपी की कोर टीम के सदस्य एक सीनियर नेता ने भरोसा जताया कि उन्हें अजीत पवार के वफादार 28 से 30 विधायकों का समर्थन मिल जाएगगा। इसके अलावा, 15 निर्दलीयों से भी उम्मीदें हैं, जिनमें 9 तो बीजेपी बागी ही हैं।