महाराष्ट्र चुनाव को लेतर महा विकास अघाड़ी में अभी भी सीट शेयरिंग को लेकर कुछ भी फाइनल नहीं हो पाया है, लेकिन ऐसा कहा जरूर जा रहा है कि कांग्रेस, उद्धव गुट और शरद पवार की पार्टी 85 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। अब यह मायने रखता है क्योंकि एक तरफ पहले कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी थी तो वहीं दूसरी तरफ शरद गुट को 75 सीटों से ज्यादा की उम्मीद नहीं थी।

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शरद पवार का खेल समझिए

लेकिन बदले समीकरणों में अब शरद पवार ने अपनी पार्टी के लिए महा विकास अघाड़ी से 10 अतिरिक्त सीटें खींच ली हैं। इस वजह से अब तीनों ही पार्टियां 85 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। यहां पर समझने वाली बात यह है कि समान सीट शेयरिंग का मतलब होता है कि सत्ता में भी समान भागीदारी रह सकती है। अगर महा विकास अघाड़ी की आगामी चुनाव में जीत होती है, तब शरद पवार गुट को भी फिर सीएम कुर्सी से दूर रखना मुश्किल हो जाएगा।

सीएम कुर्सी पर पवार ने कैसे ठोका दावा

अभी तक तो शरद पवार की तरफ से सीएम कुर्सी को लेकर कोई दावेदारी पेश नहीं की जा रही, उनकी तरफ से तो सिर्फ सीट शेयरिंग पर सारा फोकस किया गया। लेकिन अगर इन 85 सीटों में से ज्यादातर पर पार्टी को जीत मिल जाती है, उस स्थिति में उसकी दावेदारी भी सरकार में उतनी ही ज्यादा रहने वाली है। शरद पवार खुद इस बात को बखूबी समझ रहे हैं, इसी वजह से उन्होंने ऐसा सीट शेयरिंग एग्रीमेंट करवाया है जहां पर तीनों बड़े दल समान सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।

जहां मजबूत वहां मांगी ज्यादा सीटें

वैसे जानकार बता रहे हैं कि शरद पवार ने अपने सियासी अनुभव का भी पूरा फायदा उठाया है। उन्होंने उन सीटों को उद्धव गुट और कांग्रेस के लिए छोड़ दिया जहां उनकी पार्टी की कई सालों से जीत नहीं हुई, लेकिन उसके बदले मराठावाड़े जैसे मजबूत गढ़ में कई सीटें अपने नाम की। यह वो तकनीक रही जिसके सहारे शरद पवार 10 अतिरिक्त सीटें अपने पाले में ले लीं। बड़ी बात यह है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे बेहतरीन स्ट्राइक रेट शरद गुट का ही रहा है। अगर वही ट्रेंड यहां विधानसभा चुनाव में जारी रहता है तो इससे महाराष्ट्र की राजनीति में कई समीकरण बदल सकते हैं।

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