Maharashtra Chief Minister: महाराष्ट्र में अप्रत्याशित जीत के बाद महायुति को अपना मुख्यमंत्री तय करना है। नाम जरूर देवेंद्र फडणवीस का सबसे आगे चल रहा है, लेकिन लगातार हो रही देरी ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। इस बीच एकनाथ शिंदे की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि वे कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

एकनाथ शिंदे की प्रेस कॉन्फ्रेंस- Shinde Press Conference

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकनाथ शिंदे ने कहा कि इतना बड़ा मैंडेट हमे कभी नहीं मिला था, जनता ने महायुति में अपना विश्वास जताया। जो काम महा विकास ने अटका दिए थे, हमने उन्हें वापस शुरू किया। हम लोग सुबह-सुबह पांच बजे तक काम करते थे, सारे कार्यकर्ताओं ने भी हमारे साथ खूब मेहनत की। कॉमन मैंन को कहा-कहा मुश्किल आती है, हमने यह काफी करीब से समझा है, हमने कभी भी खुद को सीएम नहीं माना, एक कॉमन मैन ही माना है।

अमित शाह के साथ कल बड़ी बैठक

एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि जब मैंने सीएम पद संभाला था, सोच रखा था कि बीमार लोगों के लिए कोई योजना लानी चाहिए, मुझे अहसास था कि ऐसी स्थिति में गरीब परिवार ही सबसे ज्यादा भुगतते हैं। इसी वजह से मैंने तो हर श्रण बस गरीबों के लिए काम किया, योजना भी उनके लिए बनाईं। राज्य की जो प्रगति थी, उसकी गति को भी हमने ही बढ़ाया था। पीएम मोदी ने मेरा बहुत सपोर्ट किया, वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। किसी भी सरकार में इससे पहले इतने बड़े निर्णय नहीं लिए गए थे।

मोदी-शाह का निर्णय स्वीकार- शिंदे

शिंदे ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला कि जो निर्णय आपके सामने आया है, वो हमारे काम की वजह से आया है। मैं अपनी लाडली बहनों का भाई हूं, बहनों ने अपने भाई को चुनाव के वक्त याद रखा। मैं बताना चाहता हूं कि हम लोग मिलकर काम करने में विश्वास रखते हैं। हम लोग तो जनता के बीच जाने वाले लोग हैं, जो भी काम करते हैं, मन से करते हैं। लोगों को तो लगने लगा था कि हमारा अपना मुख्यमंत्री है।

शिंदे के पास क्या विकल्प?

अब शिंदे ने अपने पुराने दिनों को याद जरूर किया, लेकिन साफ कर दिया है कि एनडीए जो भी निर्णय लेगा, उन्हें वो स्वीकार रहने वाला है। एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने यहां तक कह दिया कि बीजेपी का सीएम भी उन्हें अब स्वीकार है। पीएम मोदी और अमित शाह जो फैसला लेंगे, उसे पूरी शिवसेना मानेगी। शिंदे ने दो टूक कहा कि ढाई साल तक उन्हें मोदी-शाह का पूरा समर्थन मिला, उनकी वजह से ही सरकारी योजनाएं जनता तक पहुंच पाईं, कभी भी फंड की कमी नहीं रही।

अब यह बयान बताने के लिए काफी हैं कि शिंदे शायद सीएम रेस से बाहर हो रहे हैं। लेकिन फिर भी उनके पास कुछ विकल्प जरूर बचे हैं। अगर वे मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, उनके पास क्या दूसरे विकल्प रहने वाले है, यह समझना जरूरी है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें