Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र की सियासी पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है, बुधवार को जब एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उन्हें बीजेपी का मुख्यमंत्री स्वीकार है, सभी को लगने लगा कि देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी पक्की है। लेकिन अब बताया जा रहा है कि बीजेपी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती है, संभावना तो यह भी है कि मुख्यमंत्री का ऐलान गुरुवार को भी ना हो। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं- क्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद बीजेपी महाराष्ट्र में भी कोई बड़ा सरप्राइज देने वाली है?
मोदी-शाह की सरप्राइज रणनीति
असल में मोदी-शाह की जैसी कार्यशैली रही है, उसे देखते हुए किसी ऐसे चेहरे का सामने आना जिसे कोई ना जानता हो, इसकी भी संभावना जताई जा रही है। इसके कई उदाहण अब सामने आ चुके हैं। शुरुआत जाटलैंड हरियाणा से कर सकते हैं जहां पर बीजेपी ने सभी को चौकाते हुए मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बना दिया था। यह अलग बात है कि दूसरे कार्यकाल के बाद उन्हें हटा दिया गया और अब नायब सिंह सैनी सीएम पद पर विराजमान हैं।
शिवराज के साथ क्या हुआ?
इसी तरीके से अगर गुजरात को देखा जाए तो वहां भी एक समय तक विजय रुपाणी की सत्ता मजबूत दिखाई दे रही थी, लेकिन बाद भूपेंद्र पटेल को जिम्मेदारी सौंप दी गई। सबसे बड़े उदाहरण तो कुछ महीने पहले ही देखने को मिल चुके हैं। मध्य प्रदेश में भी बीजेपी को महाराष्ट्र की तरह दो तिहाई से भी ज्यादा वाला जनादेश मिला था, उस राज्य में शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता चरम पर थी। लगातार सीएम रह चुके थे, ऐसे में माना गया कि पार्टी फिर उन्हें मौका देगी।
लेकिन सभी को चौकाते हुए बीजेपी ने मध्य प्रदेश में नई पीढ़ी की लीडरशिप खड़ी करने का फैसला किया और सीएम कुर्सी मोहन यादव को सौंप दी गई। वहीं दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की राजनीति में शामिल किया गया और उन्हें कृषि मंत्री बना दिया गया। इसी तरह अगर राजस्थान की बात करें तो वहां पर बीजेपी के लिए उनका सबसे बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे रही हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में जब पार्टी को जीत मिली, मानकर चला गया कि बड़े राज्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए राजे को ही गद्दी सौंप दी जाएगी।
वसुंधरा के साथ क्या हुआ?
अब बीजेपी ने ऐसा नहीं किया और राजस्थान की कमान नए चेहरे भजनलाल शर्मा के पास चली गई। अब यह उदाहण इसलिए क्योंकि मोदी-शाह की जोड़ी हर बार एक्सपेरिमेंट करने में विश्वास रखती है। बड़ी बात यह है कि देवेंद्र फडणवीस एक बार मुख्यमंत्री रहते हुए पूरा कार्यकाल निभा चुके हैं, ऐसे में अगर पार्टी किसी नए चेहरे को आगे कर भविष्य की राजनीति साधना चाहे, उस स्थिति में पूर्व सीएम का पत्ता कट सकता है। यानी कि शिंदे जरूर रास्ते से हटे हैं, लेकिन रास्ता देवेंद्र फडणीस के लिए क्लियर हो चुका है, यह जरूरी नहीं। बाकी आज गुरुवार को अमित शाह के साथ होने वाली बैठक के बाद काफी कुछ साफ होने जा रहा है।
वैसे अब बीजेपी तो अपने सीएम का ऐलान कर देगी, लेकिन महा विकास अघाड़ी से संकेत सामने आ रहे हैं, वो उद्धव के लिए खतरे की घंटी बजा सकते हैं। ऐसी अटकलें चल पड़ी हैं कि उद्धव गुट के कुछ विधायक अपने नेता का साथ छोड़ सकते हैं, उस स्थिति में आगे की राजनीति महा विकास अघाड़ी और खास तौर पर पूर्व सीएम के लिए और मुश्किल हो जाएगी। पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें