Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है। नतीजे आने के 22 दिन बाद आखिरकार सस्पेंस खत्म हुआ और 39 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई। इन 39 मंत्रियों में 33 को कैबिनेट का दर्जा दिया गया है, वहीं बाकियों को राज्य मंत्री बना दिया गया है। देवेंद्र फडणवीस के इस मंत्रिमंडल में कई पुराने चेहरे और दिग्गजों को भी मौका मिला है।

किस गुट से कितने मंत्री?

बड़ी बात यह है कि बीजेपी क्योंकि महायुति में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने सर्वाधिक सीटें जीतीं, ऐसे में उसके खाते में 19 मंत्री गए हैं, 11 मंत्रालय शिंदे गुट को मिल रहे हैं और 9 अजित पवार गुट को। बड़ी बात यह रही कि फडणवीस की सरकार में कई नए चेहरों को इस बार मौका दिया गया है, कुल 25 ऐसे विधायक हैं जो पहली बार मंत्री बने हैं।

किस फॉर्मूले के तहत हुआ शपथ ग्रहण?

कौन पहली बार बन रहा मंत्री?

चंद्रशेखर बावनकुले, जयकुमार गोरे, गणेश नाइक, इंद्रनील नाइक, भरत गोगवाले, जयकुमार रावल, पंकजा मुंडे, अशोक उइके, आशीष शेलार, दत्तात्रेय भरणे, शिवेंद्रराजे भोसले, माणिकराव कोकाटे, नरहरि जिरवाल, संजय सावकारे, संजय शिरसाट, प्रताप सरनाईक, मकरंद पाटिल, आकाश फुंडकर, बाबासाहेब पाटिल, प्रकाश अबितकर, माधुरी मिसाल, आशीष जयसवाल, पंकज भोयर, मेघना बोर्डिकर, नितेश राणे को पहली बार मंत्री बनाया गया है।

किन महिलाओं को किया शामिल?

इसके अलावा महिला शक्ति भी मंत्रिमंडल में देखने को मिल गई है। कुल चार महिला विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई है। इस लिस्ट में भाजपा नेता पंकजा मुंडे और एनसीपी विधायक अदिति शामिल है। उनके अलावा भाजपा कोटे से माधुरी मिसाल और जिंतूर सिम मेघा बोर्डिकर को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई है। हैरानी की बात यह रही कि जिस महिला वोटर की वजह से एकनाथ शिंदे की पार्टी को अप्रत्याशित जीत मिली है, उनके कोटे से किसी महिला चेहरे को मंत्री नहीं बनाया गया।

2.5 साल वाला फॉर्मूला क्या है?

वैसे डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने यह जरूर कहा है कि जितने भी मंत्री बनाए जा रहे हैं, अभी के लिए उनका कार्यकाल 2.5 साल का होगा, अगर प्रदर्शन अच्छा रहा तो उन्हें जारी रखा जा सकता है, अगर प्रदर्शन सही नहीं रहा तो उन्हें हटा किसी और को भी मौका दिया जा सकता है। यानी कि इस रोटेशनल मंत्री वाले फॉर्मूले पर आगे बढ़ा जा रहा है। वैसे एक तरफ महायुति में सबकुछ तय हो चुका है, महा विकास अघाड़ी ने अभी भी अपनी हार स्वीकार नहीं की है। दो टूक कहा गया है कि ईवीएम के जनादेश को स्वीकार नहीं किया जा सकता, इसी वजह से महाराष्ट्र के पहले सत्र से पहले होने वाली हाई टी का भी बहिष्कार करने का फैसला हुआ है। विपक्ष के आरोप के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें