आतंकी संगठन आईएस अपनी विचारधारा से विभिन्न देशों के युवाओं को भड़काने में लगा है। भारत भी आईएस के निशाने पर है, लेकिन यहां पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से वह इसमें सफल नहीं हो पा रहा है। ऐसा ही एक मामला अप्रैल, 2017 का है, जिसमें महाराष्ट्र की एंटी टेरेरिस्ट स्कवॉड (ATS) ने एक युवक को ‘पूछताछ’ के लिए बुलाया था। दरअसल एटीएस को पता चला था कि युवक सोशल मीडिया के जरिए अपने बचपन के एक दोस्त के संपर्क में था।

माना जा रहा है कि युवक के उस दोस्त ने साल 2014 में आईएस ज्वॉइन कर लिया था। अपने इस दोस्त के जरिए ही औरंगाबाद का यह युवक, आईएस के लिए भर्ती करने वाले एक रिक्रूटर के संपर्क में था, जो उसे आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार कर रहा था। एटीएस को जैसे ही इसकी जानकारी हुई, उन्होंने युवक को बुला लिया। बता दें कि महाराष्ट्र एटीएस युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने के लिए एक प्रोग्राम का संचालन करती है।

इसी प्रोग्राम के तहत एटीएस ने औरंगाबाद के युवक से औपचारिक से 240 सवाल पूछे। 8 घंटे तक चली पूछताछ में पुलिस ने उससे पूछा कि क्या वह आवेगी है? क्या उसे रोलर कोस्टर राइड पसंद है? क्या तुम्हें रोमांच पसंद है? आदि। दरअसल ये सवाल एटीएस के साइकोमेट्री टेस्ट का हिस्सा हैं, जिनकी मदद से एटीएस यह पता लगाने की कोशिश करती है कि कोई युवक किस स्तर का कट्टरपंथी बन गया है और उसे किस तरह से उसकी काउंसिलिंग करके मुख्यधारा में वापस लाया जा सकता है?

पूछताछ के लिए बुलाए गए युवक की पत्नी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि “वह मुझे बताते थे कि वह आईएस में शामिल होना चाहते हैं। मैं इससे हैरान थी और डरी हुई थी। मैंने उन्हें बताया कि हम उनके बिना नहीं जी सकेंगे, लेकिन अब उन्हें देखकर लगता है कि वह हमें छोड़कर नहीं जाएंगे।”

वहीं आईएस के संपर्क में आए युवक का कहना है कि “मैं अपना जीवन देकर अल्लाह को खुश करना चाहता था, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि अल्लाह भी ये नहीं चाहते।”

महाराष्ट्र के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस धनंजय कुलकर्णी के अनुसार, युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने वाले इस 3 साल पुराने प्रोग्राम से अभी तक 114 युवकों और 6 महिलाओं को आईएस के चंगुल में फंसने से बचाया जा सका है। एटीएस का दावा है कि 200 अन्य युवाओं की भी काउंसिलिंग की जा चुकी है।

पारंपरिक तौर पर जिहादी रिक्रूटमेंट के लिए भारत काफी संवेदनशील है और अल-कायदा और आईएस जैसे आतंकी संगठनों की नजर भारत पर है। हालांकि भारत के पक्ष में कई ऐसी बातें जाती हैं, जिनसे भारत अभी तक कट्टरपंथ से बचा हुआ है, जानकारों के अनुसार, इनमें सशक्त लोकतंत्र, राजनैतिक प्रतिनिधित्व और इस्लाम का समावेशी रुप प्रमुख कारण हैं।

एटीएस के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 से अब तक भारत में 93 लोगों को आईएस से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वहीं अन्य 52 लोग आईएस के प्रभाव वाली जगहों पर जैसे सीरिया आदि जा चुके हैं। इनमें से 10 लोग भारत वापस आ चुके हैं।