उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का समापन हो चुका है, इस बात को भी अब कई दिन बीत चुके हैं। लोग आस्था की डुबकी लगा खुश हैं, हर जगह अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। लेकिन यूपी की योगी सरकार अभी आराम से नहीं बैठ सकती है। प्रयागारज में उसके लिए पहाड़ जैसी चुनौती खड़ी है। असल में जिस मेला क्षेत्र में इस कुंभ का आयोजन किया गया था, अब उसका क्या करना है, आखिर वहां से कैसे सबकुछ हटेगा, इस बारे में प्रशासन को सोचना है। सबकुछ साफ करने की डेडलाइन 20 मार्च रखी गई है।
महाकुंभ में डिसमैंटल की प्रक्रिया
प्रशासन को इस समय प्रयागराज में 2 लाख टेंट हटाने हैं, 1.5 लाख बनाए गए टेंपररी टॉयलेट हटाने हैं और दूसरा कई अस्थाई सामान भी समेटना है। श्रद्धालुओं को दिक्कत ना हो, इसलिए 80 टेंपररी कुएं भी बनाए गए थे, अब उन्हें हटाने की तैयारी है, 70 हजार LED लाइट्स भी अब मेला क्षेत्र से हटेंगी। वैसे प्रशासन के सामने एक चुनौती यह भी है कि संगम के पानी को आगे भी शुद्ध कैसे रखा जाए,असल में एक रिपोर्ट के बाद पानी की गुणवक्ता सवालों में थी।
कुंभ के सामान का क्या होगा?
इस बारे में मेला अधिकारी विजय किरण आनंद कहते हैं कि निरीक्षण करने के कई स्टेप और तरीके हैं, 1000 करोड़ की इनवेंट्री की भी समीक्षा करनी पड़ेगी। 15 दिन का टारगेट सेट किया गया है, इस टाइम में सबकुछ ग्राउंड जीरो तक लाना है। उसके बाद ही अब एनजीटी का जीरो डिसचार्ज टेस्ट पास किया जाएगा। वैसा ऐसा नहीं है कि सारा सामान सिर्फ डिसमैंटल ही किया जाएगा, कई ऐसी भी चीजें हैं जिन्हें बाद में इस्तेमाल के लिए रखा जाएगा, अगले साल होने वाले माघ मेला में भी कई इंतजाम करने पड़ेंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि प्रशासन को जो डिसमैंटल का काम करना है, उसमें अर्बन डेवलपमेंट, इरिगेशन, और हेल्थ डिपार्टमेंट की सहायता ली जाएगी। वैसे प्रशासन को कई वो ब्रिज भी हटाने पड़ेंगे जो सिर्फ कुंभ की वजह से कुछ समय के लिए बना दिए गए थे, तकनीकी भाषा में इन्हें पॉनटून ब्रिज कहते हैं। कुंभ के दौरान ऐसे 31 ब्रिज बने थे, अब कब तक उन्हें हटाया जाएगा, यह देखने वाली बात रहेगी। वैसे महाकुंभ की एक और खबर काफी चर्चा का विषय रही, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें