Yogi Adityanath Mahakumbh 2025: प्रयागराज में 45 दिन तक चले महाकुंभ में करोड़ों लोग आए। साधु-संतों ने स्नान किया, देश-दुनिया की जानी-मानी हस्तियों ने मां गंगा का आशीर्वाद लिया लेकिन अब यह जगह वीरान होने लगी है। करोड़ों लोगों की आवाजाही और उससे बना एक खुशनुमा माहौल अब विदाई ले रहा है। 45 दिन तक यहां लोगों ने धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा का आनंद लिया तो बड़ी संख्या में कारोबारियों ने अपनी दुकानें लगाकर अच्छा व्यापार भी किया। लेकिन अब सच्चाई यही है कि महाकुंभ का समापन हो गया है और वक्त घर लौटने का है।

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है। यह 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को शुरू हुआ था और इस दौरान नागा साधुओं के भव्य जुलूस के साथ ही तीन बड़े अमृत स्नान (मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी) भी हुए। पिछले 45 दिनों में तमाम साधु-संत, राजनेता, फिल्मी सितारे और समाज के अलग-अलग वर्गों से जानी-मानी हस्तियों के साथ ही आम लोग भी प्रयागराज आए और उन्होंने आस्था की डुबकी लगाई।

बुधवार को मेला स्थल पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई है। महाकुंभ में जब गुरुवार को टेंट उखाड़े गए तो इसे देखकर निराश हो रहे लोगों ने यही कहा कि सब कुछ उजड़ रहा है।

प्रयागराज की रहने वालीं सलोनी निरंजन महाकुंभ में एक कॉटेज में रुकी थीं। वह उस वक्त भावुक हो गईं, जब उन्होंने मजदूरों को उस टेंट को हटाते देखा, जहां उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ कल्पवास किया था। सलोनी ने PTI से कहा, ‘कैंप से लगाव हो जाता है, मेला कल तक लोगों से भरा हुआ था, अब वीरान हो गया है, यह बदलाव डराने वाला है।’

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सलोनी निरंजन के पारिवारिक ‘पंडे’ शंभूनाथ शर्मा ने कहा, ‘लोग अपने घरों को वापस जा रहे हैं, कुछ ही महीनों में इस जमीन पर किसान सब्जियां उगाएंगे।’ दोपहर में आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर की जो आकृति महाकुंभ में बनाई गई थी, उसे भी ध्वस्त करने का काम शुरू हो गया।

2 लाख से ज्यादा लोगों की आंखों की जांच

महाकुंभ मेले के शुरू होने से एक हफ्ते पहले ही यहां एक विशाल नेत्र कुंभ शुरू किया गया था। नेत्र कुंभ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रवीण रेड्डी ने PTI को बताया, हमने 42 रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाए थे और 40 डॉक्टर और कुछ कर्मचारियों की टीम ने मरीजों की आंखों की जांच की। 6 जनवरी से 27 फरवरी तक 2 लाख से ज्यादा लोगों की आंखों की जांच की गई।’

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मेले के पहले दिन से ड्यूटी पर तैनात एक कर्मचारी ने कहा, ‘सब वीरान हो गया है कल तक ऐसा हुजूम था।’ इसके साथ ही खाने के स्टॉल और दुकान लगाने वाले लोग भी सामान पैक करके निकलने लगे हैं। एक शख्स ने बताया कि उन्होंने 45 दिनों तक अच्छा कारोबार किया लेकिन अब यहां से जाने का समय आ गया है। तिपहिया वाहन चालक भी अपने गृह नगरों की ओर लौटने लगे हैं। हालांकि सुरक्षाकर्मी और सफाई कर्मचारी जिन्होंने कई शिफ्ट में लगातार काम किया, अभी भी ड्यूटी पर हैं।

कुल मिलाकर महाकुंभ आस्था, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से पूरी तरह ओत-प्रोत रहा। संत-महात्माओं, अखाड़ों और हजारों साधु-संतों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी दिव्य और भव्य बना दिया।