प्रयागराज में जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ के लिए जिला प्रशासन और विभिन्न विभाग पूरी सक्रियता से तैयारियों में जुटे हैं। स्वच्छ और स्वस्थ महाकुंभ के विजन को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह की योजनाएं बनाई हैं। सरकार का फोकस श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर तो है ही पर्यावरण संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है।
उप्र जल निगम (शहरी) ने महाकुंभ क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए 1,50,000 शौचालयों का निर्माण किया है। इन शौचालयों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छता का बेहतरीन अनुभव मिल सके। इस पहल से मेले में स्वच्छता बनाए रखना और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम करना संभव होगा।
अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक
महाकुंभ के दौरान निकलने वाले अपशिष्ट के निस्तारण के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है। मेला क्षेत्र में तीन अस्थायी अपशिष्ट उपचार संयंत्र (एसटीपी) बनाए गए हैं। इसके अलावा, नैनी और झूंसी में स्थायी एसटीपी और अरैल में मल कीचड़ उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं। यह व्यवस्था मेला क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निस्तारित करेगी।
विशेष वाहन और पाइपलाइन नेटवर्क
जल निगम ने मेला क्षेत्र में अपशिष्ट निस्तारण के लिए नौ विशेष सेसफुल वाहनों की तैनाती की है। ये वाहन चार हजार लीटर, तीन हजार लीटर और एक हजार लीटर की क्षमता वाले हैं, जो अपशिष्ट को एसटीपी तक पहुंचाने का काम करेंगे। साथ ही, सीवेज पाइपलाइन नेटवर्क के जरिए अपशिष्ट को कुशलतापूर्वक निस्तारित किया जाएगा।
पुष्प वर्षा और आध्यात्मिकता का अनुभव
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाने के लिए प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों पर पारंपरिक पुष्प वर्षा की योजना भी बनाई गई है। इससे मेले का माहौल और भी पवित्र और आनंदमय बनेगा।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने महाकुंभ 2025 के लिए स्वच्छता बुनियादी ढांचे का निर्माण 15 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। विशेष कार्यकारी अधिकारी आकांक्षा राणा ने पीटीआई को बताया कि आधुनिक जेट स्प्रे सफाई प्रणाली और व्यापक सेसपूल संचालन योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है। इस योजना में सेप्टिक टैंक और सोक पिट जैसे प्रावधान शामिल हैं, जो स्वच्छता सुनिश्चित करेंगे। सभी सुविधाओं की निगरानी क्यूआर कोड आधारित प्रणाली के जरिए होगी, जिससे हर गतिविधि का सटीक प्रबंधन हो सके। 55 वेंडरों को इस कार्य के लिए रजिस्टर्ड किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को सामुदायिक शौचालयों तक आसान पहुंच मिल सके और खुले में शौच की समस्या को खत्म किया जा सके।
मुख्य स्नान पर्व जैसे मौनी अमावस्या, जिसमें कई करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है, को ध्यान में रखते हुए 1.5 लाख से अधिक शौचालय और मूत्रालय स्थापित किए जा रहे हैं। 49,000 कन्नाथ शौचालय, 12,000 एफआरपी सेप्टिक टैंक शौचालय, और 17,000 एफआरपी सोखने वाले गड्ढे शौचालयों की योजना तैयार की गई है। इसके अलावा, मेला क्षेत्र में 9,000 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील सामुदायिक शौचालय और 23,000 सीमेंटेड शौचालयों को भी शामिल किया गया है। विशेष रूप से 350 मोबाइल शौचालय, जिनमें से प्रत्येक में 10 सीटें होंगी, और 500 वीआईपी शौचालय भी बनाए जा रहे हैं।