मध्य प्रदेश में दमोह जिले में अंतरजातीय विवाह करने के कारण सामजिक बहिष्कार का सामना कर रहे दम्पत्ति ने आरोप लगाया है कि गांव के बुजुर्गों द्वारा समुदाय में वापसी के लिए दो लाख रुपए की मांग की जा रही है। पीड़ित दंपत्ति ने इसकी शिकायत दमोह जिले के पुलिस अधीक्षक से भी की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला दमोह जिले के पौड़ी गांव का है। जहां करीब छह साल पहले पौड़ी गांव के रहने वाले राजेश प्रजापति ने ज्योति उठ्या से शादी की। राजेश प्रजापति ओबीसी समुदाय से आते हैं और ज्योति उठ्या अनुसूचित जाति से आती हैं। शादी के बाद समाज के लोगों ने राजेश प्रजापति के परिवार का यह कहते हुए बहिष्कार कर दिया कि उसने अनुसूचित जाति की लड़की से शादी की है।

पीड़ित दंपत्ति का पांच साल का एक बेटा भी है जिसे गांव के दूसरे बच्चों के साथ खेलने की मनाही है। पिछले छह साल से भेदभाव का सामना कर रहे राजेश प्रजापति ने कई बार के गांव के लोगों से वापस समुदाय में लौटने की अनुमति देने की विनती की। बाद में राजेश के पिता के अनुरोध पर गांव के कुछ लोग दंपत्ति के समुदाय में वापसी को लेकर तैयार हो गए लेकिन यह शर्त रखी गई कि इसके लिए भागवत कथा और भंडारे का आयोजन किया जाए।

समाज के इस फैसले को पूरा करने के लिए राजेश प्रजापति के पिता ने कर्ज लेकर भंडारे और भागवत कथा का आयोजन किया। लेकिन कुछ ग्रामीणों ने इसका भी बहिष्कार कर दिया। दंपत्ति का आरोप है कि कुछ लोगों ने भंडारे का बहिष्कार करते हुए समाज को दो लाख दान देने की बात कही। पीड़ित दंपत्ति को इसके लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया। जिसके बाद राजेश प्रजापति और उसकी पत्नी ने दमोह के एसपी डीआर तेनीवार से इसकी शिकायत की।

दमोह एसपी ने इस मामले की जांच एसडीपीओ को सौंपी है। दमोह एसपी ने इस मामले को लेकर कहा कि यदि किसी भी तरह का गैरकानूनी फरमान पाया जाता है और आरोप सही पाए जाते हैं तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।