मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के कारण एक तीन साल कैंसर पीड़ित मासूम की मौत हो गई। मासूम को समय पर वेंटिलर सपोर्ट और एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। घटना रविवार सुबह करीब 8.30 बजे स्थानीय नवोदय कैंसर अस्पताल की है।

यहां 3 साल के मितांश का इलाज चल रहा था। अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने के कारण उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना था। एक अस्पताल ने वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं होने की बात कह कर उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया। इसके बाद नवोदय अस्पताल के स्टाफ ने बच्चे को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 108 नंबर पर एंबुलेंस बुलाने को लेकर फोन किया लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। इस बीच बच्चे ने दम तोड़ दिया।

मितांश के पिता राजेश नागर खेती करते हैं। मितांश के बारे में नवोदय कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि मितांश को ब्लड कैंसर था। कई दिनों से बुखार के बाद घरवालों ने उसे यहां 17 अक्टूबर को एडमिट कराया था। बच्चे की हालत काफी गंभीर थी। रविवार सुबह उसकी हालत काफी गंभीर थी। उसका प्लेटलेट्स की संख्या 10 हजार तक पहुंच गई थी। इससे उसे ब्रेन हैमरेज की आशंका थी।

डॉ. अग्रवाल के अनुसार मितांश को वेंटिलेटर की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल में पीडिएट्रिक्स आईसीयू नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया गया था लेकिन वह नहीं पहुंची। दूसरी तरफ मितांश के पिता राजेश नागर ने बताया कि बेटे सुबह उठने के बाद टॉयलेट गया और ब्रश भी किया। अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने कहा कि यदि समय पर वेंटिलेटर सपोर्ट मिल जाता तो उनका बेटा बच जाता। पिता ने बताया कि एक प्राइवेट हॉस्पिटल की एंबुलेंस आई थी लेकिन उसने बाद में ले जाने से मना कर दिया।

वहीं 108 नंबर पर फोन करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आई। बता दें कि पहले मिरेकल अस्पताल की एबुंलेस बच्चे को लेने पहुंची थी लेकिन बाद में अस्पताल ने वेटिंलेटर खाली नहीं होने का हवाला देते हुए मितांश को ले जाने से इंकार कर दिया।