भाजपा ने तीन तलाक संबंधी विधेयक को देश की नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं की तड़प और तकदीर का सवाल करार देते हुए गुरुवार को कहा कि इसके कारण कुछ भी खतरे में नहीं है बल्कि सिर्फ कुछ मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इसके कारण सारी बुराइयां खत्म हो जाएगीं और सब कुछ पुण्य में बदल जाएगा। बल्कि इससे खौफ के साए में जी रही महिलाओं को राहत मिलेगी जिन्हें यह कह कर डराया जाता है कि तुझे कल तलाक दे दूंगा, तू खाएगी कहां से। ‘‘इससे यह डर का माहौल खत्म हो जाएगा।’’ उन्होंने पवित्र कुरान की कुछ आयतों का हवाला दिया और कहा कि इस्लाम में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है, लेकिन कुछ लोग ‘इस्लाम खतरे में है’ जैसा गलत नारा लगाकर समाज में जहर फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कहा कि कुछ खतरे में नही हैं, सिर्फ कुछ मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है।
केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया और कहा कि इस संगठन में बैठे लोगों ने अपने आपको चुन लिया और देश के 18 करोड़ मुसलमानों के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि कल कुछ लोग उनके आज के कहे पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन अगर कोई फैसला देने वाला है, वो सिर्फ अल्लाह है। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति के कारण मुस्लिम महिलाओं को परेशान होना पड़ा। आज मुस्लिम महिलाएं यह देखकर फैसला लेंगी कि उनके अधिकारों के लिए कौन खड़ा है और कौन उनके खिलाफ खड़ा है। मैं मुस्लिम बहनों को बताना चाहती हूं कि जब आपके नरेन्द्र मोदी जैसे भाई हो, तब डरने की कोई जरूरत नहीं है। हम उनके अधिकारों के लिए खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में तीन तलाक के संबंध में दंडात्मक प्रावधान किए गए हैं। इसी तरह से उन मुल्ला, मौलवियों के खिलाफ भी कानून में प्रावधान होना चाहिए जो तीन तलाक में शामिल होते हैं और हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शरीया को आज तक संहिताबद्ध नहीं किया गया और मुस्लिम समुदाय के सांसदों को आगे आकर इस्लामी लॉ को संहिताबद्ध करने के लिए काम करना चाहिए।
लेखी ने कहा कि तीन तलाक से तीन तरह के अत्याचार होते हैं। जिसमें राजनीतिक अत्याचार हैं यानी वोट बैंक के लिए इस मुद्दे पर बात नहीं होती। आर्थिक अत्याचार होता है यानी पीड़ित महिलाओं को सड़क पर रहने को मजबूर कर दिया जाता है और इसके साथ ही मुस्लिम महिलाओं पर सामाजिक अत्याचार भी होता है। उन्होंने कहा कि दरअसल इस देश में अल्पसंख्यक और कोई नहीं, महिलाएं ही हैं , चाहे किसी धर्म की बात कर लें। देश में सारे कानून धर्मनिरपेक्ष हैं लेकिन महिलाओं से संबंधित विषयों पर पर्सनल कानून बनाए गए।