ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार (2 जून, 2023) को हुए दर्दनाक रेल हादसे को दो दिन बीत चुके हैं। अभी भी सैकड़ों लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मुर्दा घरों के बाहर अभी भी लोगों की भीड़ लगी है और अपनों की डेड बॉडी की तलाश में पीड़ित परिवार यहां पहुंच रहे हैं।

हालांकि, हादसे के बाद रूट को साफ कर दिया गया है और फिर से ट्रेनों की आवाजाही भी शुरू कर दी गई है, लेकिन इस दर्दनाक हादसे की चीख-पुकार अभी भी लोगों के जहन में है। एक्सीडेंट में पटरियों पर एक डायरी के पन्ने भी बिखरे मिले थे, जिसमें बंग्ला भाषा में किसी ने पैगाम ए मुहब्बत लिखा था। लेकिन यह पैगाम अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका।

ये हैं कविता के बोल

डायरी के एक फटे पन्ने पर एक तरफ हाथियों, मछलियों और सूरज के चित्र बनाए हुए थे। शायद सफर के दौरान किसी यात्री ने खाली समय में यह कविता लिखी होगी। कविता लिखने वाले मुसाफिर की पहचान नहीं हो सकी है। कविता कुछ इस तरह से है, “अल्पो अल्पो मेघा थाके, हल्का ब्रिस्टी होय, चोटो चोटो गोलपो ठेके भालोबासा सृष्टि होय।” इसका मतलब है, “ठहरे ठहरे बादलों से बरसती हैं बूंदे, जो हमने तुमने सुनी थी कहानियां, उनमें खिलती हैं मुहब्बत की कलियां।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुए डायरी के पन्ने

इन पन्नों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। एक और अधूरी कविता में लिखा है, “भालोबेशी तोके चाई साराखोन, अचिस तुई मोनेर साठे…” इसका हिंदी में मतलब है, “मुझे हर वक्त तुम्हारी जरूरत है, हर वक्त मेरे दिल-ओ-दिमाग में तुम ही छाई हो। सोशल मीडिया पर लोगों ने इन कविताओं पर कहा कि किसी के प्रेम में डूब कर लिखी गई ये पंक्तियां दिल को चीरने वाली हैं, ओह ! जिंदगी कैसी पहेली है। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अब तक इस डायरी पर दावा करने कोई नहीं आया है। लिखने वाले के साथ क्या हुआ? इसकी भी कोई जानकारी नहीं है।

रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल टीम और स्थानीय पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि डायरी के पन्नों को संभालकर रख लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी ने कविता लिखने वाले से रिश्तों का दावा नहीं किया है। शुक्रवार शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के डीरेल होने के बाद हुए दर्दनाक हादस में हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। इस हादस में 275 लोगों की मौत हुई है।