देश की शीर्ष तीन पेट्रोलियम कंपनियों को कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद र्इंधन के दाम नहीं बढ़ाने की वजह से नवंबर से मार्च, 2022 तक 2.25 अरब डालर (करीब 19 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन (एचपीसीएल) को र्इंधन कीमतें नहीं बढ़ाने की वजह से यह नुकसान झेलना पड़ा है।
देश में चार नवंबर, 2021 से 21 मार्च, 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद र्इंधन कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इस दौरान कच्चे तेल का दाम नवंबर के 82 डालर प्रति बैरल से मार्च के पहले तीन सप्ताह में औसतन 111 डालर प्रति बैरल रहा था। हालांकि, पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने 22 और 23 मार्च को पेट्रोल और डीजल के दाम 80-80 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए हैं। गुरुवार को र्इंधन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बाजार की मौजूदा कीमतों के आधार पर पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को वर्तमान में पेट्रोल की बिक्री पर लगभग 25 डालर (1,900 रुपए से अधिक) प्रति बैरल और डीजल पर 24 डालर प्रति बैरल का घाटा हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर कच्चे तेल की कीमतें औसतन 111 डालर प्रति बैरल के आसपास बनी रहती हैं, तो आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर रोजाना सामूहिक रूप से 6.5 से सात करोड़ डालर का नुकसान हो सकता है।
मूडीज ने कहा कि नवंबर से लेकर मार्च के पहले तीन सप्ताह के दौरान औसत बिक्री की मात्रा के हमारे अनुमानों के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम रिफाइनिंग और विपणन कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर लगभग 2.25 अरब डालर के राजस्व का नुकसान हुआ है।