लोकसभा में हुई सुरक्षा चूक मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला कोर्ट के सामने बड़े दावे कर दिए हैं। मास्टमाइंड ललित झा को जब अदालत में पेश किया गया, पुलिस ने दो टूक कहा कि इन आरोपियों का सिर्फ एक मकसद था- देश में अशांति पैदा करना। जोर देकर कहा गया है कि अराजकता का माहौल बनाने के लिए उस साजिश को अंजाम दिया गया और संसद में स्मोक अटैक हुआ।
दिल्ली पुलिस ने अपने रिमांड नोट में इस बात का जिक्र भी किया है कि आरोपियों का एक मकसद संसद में मौजूद सांसदों को डराना भी था। आरोपी सभी सांसदों में खौफ पैदा करना चाहते थे। पुलिस के मुताबिक ये आरोपी कई बार साजिश से पहले मिले थे, ऐसे में उनके किसी आतंकी संगठन से कनेक्शन रहा या नहीं, इस पहलू की भी जांच की जाएगी।
कोर्ट के सामने पुलिस ने ये भी बताया कि ललित ने ही सभी आरोपियों के फोन अपने पास रख लिए थे और उन्हें नष्ट भी कर दिया। उसका एक ही मकसद था- वो किसी भ तरह से सभी सबूतों को मिटाना चाहता था। अभी के लिए पुलिस को ललित की सात दिन की रिमांड मिल गई है। उससे विस्तार से पूछताछ की जाएगी, कई तरह के सवाल-जवाब पूछे जाएंगे। वैसे इन आरोपियों को लेकर कई और खुलासे भी हुए हैं। बताया जा रहा है कि इन आरोपियों ने संसद के कई पुराने वीडियो देखे थे, गूगल पर कई चीजें सर्च की थीं और उसके बाद इस साजिश को अंजाम दिया था।
जानकारी मिल रही है कि 13 दिसंबर को तो सिर्फ संसद में स्मोक अटैक किया गया, लेकिन उसकी तैयारी के लिए इन साजिशकर्ताओं ने पहले संसद के ही कई पुराने वीडियो देखे। उन वीडियो के जरिए ही समझने का प्रयास रहा कि सुरक्षा में कैसे सेंधमारी की जा सकती है। इसके अलावा तीन प्लान पर भी काम किया जा रहा है। शुरुआत में इन आरोपियों का प्लान संसद के अंदर जाने का नहीं था, बल्कि वो तो बाहर ही प्रदर्शन करने वाले थे।
लेकिन तब मुख्य आरोपी ललित ने ही अपने दूसरे साथियों को भड़काया और संसद के अंदर जाने की बात कही। उसका तर्क रहा कि जब तक संसद के अंदर नहीं जाया जाएगा, जो संदेश देना है, वो सही तरीके से डिलीवर नहीं हो सकता। वो हर कीमत पर चाहता था कि मीडिया सिर्फ उनकी खबर दिखाए, उनकी चर्चा हो।