दिल्ली में प्रतिबंधित बैटरी रिक्शा को फिर से चलने देने का रास्ता साफ करने वाले महत्वपूर्ण विधेयक को लोकसभा ने अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि जल्द ही होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए सरकार इस विधेयक को लाई है। उसने कहा कि यह संशोधन विधेयक केवल दिल्ली के बैटरी रिक्शाओं के लिए नहीं बल्कि देश भर के बैटरी रिक्शाओं के लिए है।

सड़क परिवन मंत्री नितिन गडकरी ने मोटर यान संशोधन विधेयक 2014 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि इसमें केवल दो मुख्य संशोधन हैं। पहला संशोधन यह है कि बैटरी रिक्शा चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए आठवीं पास होने की पात्रता से मुक्त किया गया है और दूसरा यह कि इन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस पाने में कमर्शियल लाइसेंस पाने की लगभग डेड़ साल की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। इसके बजाए वे निर्माता कंपनी या संबंधित संस्था के दस दिन का प्रशिक्षण दिए जाने के बाद इसे पा सकेंगे।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि विधेयक को दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनावी लाभ पाने की नीयत से जल्दबाजी में लाया गया है। इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। मंत्री ने हालांकि इससे इनकार करते हुए आग्रह किया कि यह देश के एक करोड़ गरीब बैटरी रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी शुरू करने के लिए लाया गया है और सदन को इसे पारित कर देना चाहिए। जिसे सदन ने ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी। एक दुर्घटना के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के कारण दिल्ली में बैटरी रिक्शे बंद पड़े हैं और इन्हें चलाने वाले शहर के लगभग एक लाख लोग बेराजगार हो गए हैं।

गडकरी ने बताया कि ई-रिक्शाओं या उनके कल-पुर्जों का आयात अब चीन से नहीं होता है। ई-रिक्शा अब पूरी तरह से देश में ही निर्मित हो रहे हैं। इसे बढ़ावा देने से देश के विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। देश में अभी लगभग एक करोड़ लोग साइकिल रिक्शा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि आदमी के आदमी को ढोने की इस अमानवीय कुप्रथा से ई-रिक्शा मुक्ति दिला सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा सपना है कि हम ई-रिक्शा से देश के सभी साइकिल रिक्शाओं को बदल दें। साइकिल रिक्शा चलाने वाले कड़ी मशक्कत के कारण तपेदिक सहित कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ई-रिक्शा प्रचालन में उन्होंने मालिक-चालक की अवधारणा को मजबूती से बढ़ावा देने का प्रावधान किया है। इससे जो ई-रिक्शा चलाएगा, वही उसका मालिक होगा।

गडकरी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने चार फीसद की ब्याज दर पर ई-रिक्शा खरीदने के लिए अपने-अपने मंत्रालयों से कोष मुहैया कराने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि इसे चलाने वाले अधिकतर अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के लोग हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह करेंगे कि शून्य फीसद की दर से ई-रिक्शा खरीद के लिए कर्ज देने को इजाजत दें। इससे साइकिल रिक्शा को ई-रिक्शा से बदलने के कार्य को गति मिलेगी।

वहीं संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने लोकसभा में राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से ई रिक्शा में बैठक कर संसद आने की इजाजत मांगी जिसका उन्होंने स्वागत किया। नायडू ने उनसे कहा-गडकरी जी, क्या आप मुझे और सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जी को ई रिक्शा में बैठ कर संसद आने की अनुमति देंगे?

सदस्यों के ठहाकों के बीच गडकरी ने कहा कि आप ऐसा शुरू करें, तो इससे अधिक स्वागत की क्या बात होगी। इसके लिए मैं आपको बधाई दूंगा। साथ ही गडकरी ने सदन को याद दिलाया कि पेट्रोल के दाम बढ़ने पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी एक बार रिक्शे पर बैठ कर संसद आए थे। चर्चा के दौरान हल्के -फुल्के लम्हों में परिवहन मंत्री ने खड़गे से कहा कि मेरा भी वजन आप जैसा है, पहले ज्यादा था और हम जैसे चार लोग एक ही ई रिक्शा में बैठकर आ सकते हैं।