बारामूला लोकसभा सीट से सांसद इंजीनियर राशिद ने कहा है कि उनके द्वारा जम्मू-कश्मीर के चुनाव में जो गठबंधन किया गया है, उसका मकसद कश्मीर की आवाज को उठाना है। उन्होंने कहा कि हम कश्मीर के मुद्दे के समाधान के लिए लड़ेंगे। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के चुनाव में अवामी इत्तेहाद पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन किया है।
इंजीनियर राशिद ने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर हमला बोला और कहा कि वे कठपुतलियां और रबर स्टांप हैं।
बताना होगा कि जम्मू-कश्मीर के चुनाव में पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होना है। इसके बाद 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को भी मतदान होगा और 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।
कुछ सीटों पर होगा दोस्ताना मुकाबला
इंजीनियर राशिद ने कहा कि हम जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे और वह भी हमारे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। कुछ सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच दोस्ताना मुकाबला होगा। अवामी इत्तेहाद पार्टी ने कहा कि यह गठबंधन इस क्षेत्र के लोगों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
जमात-ए-इस्लामी पर भारत सरकार ने साल 2019 में एंटी टेरर कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल इस प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया था। इसके बावजूद जमात-ए-इस्लामी के कई नेता आजाद उम्मीदवारों के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं जिन्हें अब अवामी इत्तेहाद पार्टी का भी समर्थन मिला है।
गठबंधन की शर्तों के तहत कुलगाम और पुलवामा में अवामी इत्तेहाद पार्टी जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी जबकि जमात-ए-इस्लामी अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अवामी इत्तेहाद पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करेगी।
बीजेपी का प्रॉक्सी होने के आरोपों पर भड़के राशिद
शेख राशिद ने खुद को बीजेपी का प्रॉक्सी कहे जाने के आरोपों पर भी जोरदार जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा के आम चुनाव में उन्हें मिली जीत मोदी सरकार के नया कश्मीर के खिलाफ जनता का स्पष्ट संदेश है। इंजीनियर राशिद ने लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराया था।
राशिद ने कहा कि जो लोग उन्हें बीजेपी का प्रॉक्सी कहते हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए।
राशिद ने कहा कि वह अकेले ऐसे नेता हैं जिसे बीजेपी ने सबसे ज्यादा परेशान किया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को कई महीने तक शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में रखा गया था तब वह एकमात्र विधायक थे जिन्हें तिहाड़ जेल में डाल दिया गया था।
राशिद ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला ना तो महात्मा गांधी बन सके और ना ही सुभाष चंद्र बोस और इसी तरह महबूबा मुफ्ती ना तो रजिया सुल्तान बन सकीं और ना ही म्यांमार की आंग सान सू की। राशिद ने कहा कि वे लोग केवल कठपुतलियां हैं और रबर स्टांप हैं।
जमानत पर बाहर आए हैं राशिद
इंजीनियर राशिद कुछ दिन पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। माना जा रहा है कि उनके द्वारा जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने का नतीजों पर असर हो सकता है। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था कि उनका एनडीए और इंडिया गठबंधन से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें कश्मीर के मुद्दों को सुलझाना है।