लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के मद्देनजर यूपी में सभी दलों की तैयारी जारी है। इसी बीच बीते रविवार को समाजवादी पार्टी ने राज्य में अपनी कार्यकारी समिति की घोषणा कर दी है। सपा ने सभी को चौंकाते हुए इस लिस्ट में गैर-यादव ओबीसी नेताओं को ज्यादा जगह दी है। सपा लगातार अपने ऊपर लगे ‘यादवों की पार्टी’ के टैग को हटाने का प्रयास कर रही है। इसकी तरफ से ऐसी ही कोशिश मेयर चुनाव में भी की गई थी।

सपा द्वारा 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के बाद 182 सदस्यों की कार्यकारी समिति भंग कर दी गई थी। अब नई लिस्ट में 70 में से 30 पदाधिकारी नॉन-यादव समुदाय के हैं। लिस्ट में सिर्फ 5 यादव नेताओं को जगह दी गई है। लिस्ट में दलित समुदाय से संबंध रखने वाले नेताओं की संख्या है, जो यादवों से ज्यादा है। लिस्ट में ब्राह्मण समुदाय के 5 नेता हैं जबकि 2 एसटी समुदाय से हैं।

इस लिस्ट में समाजवादी पार्टी ने 12 मुस्लिम नेताओं को जगह दी है। सपा बीते विधानसभा चुनाव में मिले मुस्लिम समुदाय के समर्थन को फिर से बरकरार करना चाहती है, यह उसी का एक प्रयास है। सपा की स्टेट एग्जीक्यूटिव कमेटी में 70 पदाधिकारी, 48 सदस्य और 62 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।

समाजवादी पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के नेतृत्व वाली पदाधिकारियों की टीम में चार उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, 61 सचिव और एक कोषाध्यक्ष हैं। नरेश उत्तम पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि नई टीम बैलेंस है और इस टीम में सभी जातियों और समुदाय के नेता शामिल हैं। यह बीजेपी का प्रोपेगेंडा है कि सपा सिर्फ एक जाति की पार्टी है। सपा ने हमेशा सभी जातियों और समुदायों को सम्मान और प्रतिनिधित्व दिया है।

सपा क्यों दे रही गैर यादव ओबीसी पर जोर?

अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने द्वारा लिए गए इस कदम को गैर यादव ओबीसी समुदाय के वोटों को हासिल करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। यूपी ईस्ट की कई सीटों पर जनाधार रखने वाले ओपी राजभर एनडीए में शामिल हो चुके हैं जबकि महान दल के केशव देव मायावती को समर्थन का ऐलान कर चुके हैं।

बता दें कि 2022 में सपा ने रालोद, महान दल, अपना दल कमेरावादी और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन किया था। इसका फायदा सपा को गैर यादव ओबीसी वोट हासिल करने में हुआ भी था। इसके अलावा हाल ही में सपा विधायक धारा सिंह चौहान फिर से बीजेपी में शामिल हुए हैं।

सपा की स्टेट एग्जीक्यूटिव कमेटी में नरेश उत्तम के अलावा दो अन्य कुर्मी नेताओं को जगह दी गई है। नई टीम में निषाद समुदाय के चार नेता हैं। बता दें कि बीजेपी का अपना दल एस और निषाद पार्टी से गठबंधन है। इन पार्टियों की क्रमश: कुर्मी समुदाय और निषाद समुदाय के बीच पैठ है।

किस क्षेत्र के कितने नेता?

बात अगर क्षेत्र के अनुसार करें तो ईस्ट यूपी के 16 नेता सपा की नई लिस्ट में हैं। वेस्ट यूपी, जहां सपा का रालोद से गठबंधन है, वहां से सपा की नई लिस्ट में 12 नेताओं को जगह दी गई है। इस लिस्ट में गाजियाबाद के धर्मवीर डबास, बागपत की शालिनी राकेश को जगह दी गई है- ये दोनों जाट समुदाय से संबंध रखते हैं। लिस्ट में ग्रेटर नोएडा के गुर्जर नेता सुनील चौधरी को जगह मिली है।

मुलायम सिंह यादव के परिवार के स्ट्रांगहोल्ड माने जाने वाले मैनपुरी, कन्नौज और इटावा से कुल 7 नेताओं को कार्यकारी समिति में जगह दी गई है। खास बात ये है कि इस बार सपा की लिस्ट में शिवपाल समर्थकों को भी जगह दी गई है। पिछले साल मुलायम सिंह के निधन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी का विलय सपा में कर दिया था।

सपा की नई लिस्ट में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान को फिर से सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। इस लिस्ट में जिन 5 यादव नेताओं को जगह दी गई है- उनमें महिमा यादव, लाखन सिंह यादव, अवधेश यादव, रामसेवक यादव और मेहताब सिंह को जगह दी गई है। गौर करने वाली बात यह है कि इन नेताओं में से किसी को भी उपाध्यक्ष या जनरल सेक्रेटरी नियुक्त नहीं किया है, ये पांचों सेक्रेटरी बनाए गए हैं।