लोकसभा चनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर चुनावी अधिसूचना जारी हो चुकी है। देश के सभी राजनीतिक दल अपने प्लान के अनुसार जनता की बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसमें सबसे आगे केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ही दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में एक बार फिर बीजेपी इलेक्शन मशीनरी लगाकर चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने वाली है। पिछले दस वर्षों में पार्टी ने अपने जनाधार को विस्तार देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसका नतीजा है कि पहले 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी पूर्ण और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज है, जिसकी कमान नरेंद्र मोदी के हाथ में है लेकिन फिर भी पार्टी को विपक्षी दल आज भी मुस्लिम समुदाय की विरोधी बताते हुए कोसते नजर आते हैं।

एक वक्त था कि बीजेपी को केवल सवर्णों की पार्टी कहा जाता था लेकिन 2014 के बाद से पार्टी की छवि काफी बदली है। सवर्णों से इतर पार्टी ओबीसी वर्ग से लेकर पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को साधने में कामयाब होती हुई दिखाई दी। हालांकि, बिहार जैसे राज्यों में बैक सीट पर होने के चलते बीजेपी को वहां कुछ खास फायदा नहीं हुआ। केंद्र के अंतर्गत चलने वाली तमाम योजनाओं के जरिए पिछड़े वर्ग को खूब फायदा पहुंचाने के प्रयास किए गए।

उज्जवला के जरिए गैस सिलेंडर से लेकर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और 10 करोड़ टायलेट बनाने का दावा करते हुए पार्टी ने हमेशा यह दंभ भरा कि वह अपनी इन योजनाओं के जरिए समाज के सारे वर्गों को लाभ पहुंचा रही है लेकिन इन लाभार्थियों में भी एक बड़ा वर्ग दलित पिछड़ों और शोसितों का है। कुछ इसी तरह पार्टी ने हमेशा यह भी कहा कि जब केंद्र से कोई योजना पास होती है, तो उसके लिए लाभार्थी से उसका धर्म नहीं पूछा जाता है। मतलब साफ है कि इस बयान से पार्टी मुस्लिम समाज के लोगों को फायदा पहुंचाने की बात कह रही है।

मुस्लिमों को साधने के लिए प्रयास करती रही है बीजेपी

बीजेपी लंबे वक्त से मुस्लिम समाज को साधने के प्रयास करती रही है। 2019 में तीन तलाक कानून पारित होने के बाद दावा किया गया कि बीजेपी को मुस्लिम वोट बैंक के लिहाज से भी धीरे-धीरे फायदा हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर कुछ आंकड़े तो ये भी बताते हैं कि भारत के 5 में से एक मुस्लिम ने बीजेपी को वोट किया था, यानी करीब 17-20 फीसदी मुस्लिम बीजेपी को वोट कर चुके हैं। इसी तरह यूपी को लेकर आंकड़ा बताता है कि करीब 5-8 फीसदी मुस्लिम वर्ग के लोगों ने बीजेपी के पक्ष में वोट डाला था।

PM मोदी ने भी की है कनेक्शन बिठाने की कोशिशें

एक अहम बात यह है कि बीजेपी मुस्लिम समाज में पसमांदा मुस्लिमों पर ज्यादा फोकस कर रही है। ये वर्ग ऐसा है जो कि मुस्लिम वर्ग में भी सबसे पिछड़ा माना जाता है और इनकी आबादी करीब 85 प्रतिशत है, जो कि शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर काफी पिछड़े हैं। ऐसे में पीएम मोदी लगातार उन्हें साधने के प्रयास करते रहे हैं, जिनका एक छोटा सा वोट शेयर भी बीजेपी के लिए बड़ा सियासी इम्पैक्ट ला सकता है।

खास बात यह है कि इसी साल जनवरी में पीएम मोदी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कुछ दिन पहले देश के कई प्रतिष्ठित मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी और अजमेर में उर्स के लिए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के मकबरे के लिए एक चादर भी भेंट की थी। इस मुलाकात की गूंज सियासी महकमों में देखने को मिली थी।

वोट प्रतिशत बढ़ने का क्या लॉजिक दे रहे बीजेपी नेता?

अब लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी भी मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए खास तैयारी कर रही है। बीजेपी नेताओं का मानना है यह कि बीजेपी को हराने के लिए वोट करने वाले मुस्लिम वोटरों को अब यह लगने लगा है कि बीजेपी को लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में आने से रोकना संभव नहीं है। इसलिए अब मुस्लिम वोटर भी मोदी की जीत में भागीदार बन सकते हैं और इससे पार्टी को ज्यादा फायदा भी हो सकती है। बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार मुस्लिम सीटों पर बीजेपी का वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

पीएम मोदी के दिशानिर्देशों के तहत बीजेपी पिछले कुछ सालों से मुसलमानों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगी है। इसके लिए बीजेपी ने हाल के दिनों में मुस्लिम समाज के अलग-अलग वर्गों से बातचीत के लिए कई अभियान भी चलाए हैं। बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा देशभर में मुस्लिम समाज के बीच इस तरह के 23 हजार के लगभग स्नेह संवाद कार्यक्रम कर चुका हैं। देश के 1500 के लगभग विधानसभा क्षेत्रों के कवर किया था।

बीजेपी ने टारगेट की है 65 सीटें

बता दें कि 65 ऐसी सीटों को बीजेपी ने टारगेट किया है, जहां मुस्लिम वोटरों की आबादी 30 प्रतिशत से ज्यादा है। ये 65 सीटें असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली,गोवा, हरियाणा,जम्मू कश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में है। इन सीटों को जीतने के लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है। इन 65 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम समाज को साधने की रणनीति बना ली है।

वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी का कहना है कि पार्टी के मुस्लिम कार्यकर्ता इन लोकसभा सीटों पर जोड़े गए सूफी समाज और बनाए गए मोदी मित्रों के जरिए मुस्लिम समाज के लाभार्थियों से संपर्क स्थापित करेंगे। साथ में उन्हें बीजेपी के पक्ष में वोट करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करेंगे।

इसका संकेत साफ है कि बीजेपी इस बार मुस्लिम वर्ग को भी अपने वोटों के कटोरे में शामिल करने के पूरे प्रयास कर रही है, जिससे पार्टी के सिर से मुस्लिम विरोधी होने का टैग हट सके।