Locust Attack in India: राजस्थान और मध्य प्रदेश में आतंक मचाने के बाद टिड्डियों का दल बुधवार को एक बार फिर उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच गया। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। झांसी मंङल के कृषि उप निदेशक कमल कटियार ने ‘भाषा’ को बताया कि जालौन की सीमा के नजदीक झांसी की गरौठा तहसील के स्किल गांव के पास शाम करीब साढ़े चार बजे टिड्डियों का एक दल पहुंचा और उसे भगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह दल लगभग एक किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है। टिड्डियों के हमले की आशंका के मद्देनजर दमकल वाहनों को पहले से ही तैयार किया गया था और इन कीटों को भगाने के लिये कीटनाशकों का गहन छिड़काव किया जा रहा है।
साथ ही वाहनों पर डीजे तथा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लगाकर शोर किया जा रहा है। कटियार ने बताया कि झांसी के समथर थाना क्षेत्र के दतावली गांव के पास भी टिड्डियों का एक छोटा दल देखा गया। उसे भी भगाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज दोपहर बाद तक टिड्डियों का समूह झांसी की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के दतिया जिले में था और हवा के रुख के हिसाब से उसके झांसी में प्रवेश करने की आशंका पहले से ही थी। उल्लेखनीय है कि गत 22 एवं 24 मई को टिड्डियों के एक बड़े समूह ने झांसी जिले के कुछ इलाकों पर हमला किया था, मगर पहले से ही सतर्क प्रशासन एवं ग्रामीणों की मदद से आधे से अधिक टिड्डियों को मार डाला गया था।
पर्यावरण मंत्रालय के वन्यजीव इंस्पेक्टर जनरल सौमित्र दासगुप्ता ने बताया कि ये रेगिस्तानी टिड्डे थे जिन्होंने भारत में बड़ी संख्या में हमला किया और इससे फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। टिड्डियां हमारे देश में सामान्य हैं लेकिन यह हमला बहुत बड़ा है। जयपुर में लगभग 28 साल बाद टिड्डी दल ने दस्तक दी है। इससे पहले 1993 में टिड्डियों ने जयपुर में फसलों को चट कर दिया था। यहां सोमवार सुबह टिड्डियों का एक बडा झुंड परकोटा क्षेत्र में बड़ी चैपड़ और आस-पास के इलाकों में देखा गया था।
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राजस्थान और मध्य प्रदेश में आतंक मचाने के बाद टिड्डियों का दल बुधवार को एक बार फिर उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच गया। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। झांसी मंङल के कृषि उप निदेशक कमल कटियार ने 'भाषा' को बताया कि जालौन की सीमा के नजदीक झांसी की गरौठा तहसील के स्किल गांव के पास शाम करीब साढ़े चार बजे टिड्डियों का एक दल पहुंचा और उसे भगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह दल लगभग एक किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है। टिड्डियों के हमले की आशंका के मद्देनजर दमकल वाहनों को पहले से ही तैयार किया गया था और इन कीटों को भगाने के लिये कीटनाशकों का गहन छिड़काव किया जा रहा है। साथ ही वाहनों पर डीजे तथा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लगाकर शोर किया जा रहा है। कटियार ने बताया कि झांसी के समथर थाना क्षेत्र के दतावली गांव के पास भी टिड्डियों का एक छोटा दल देखा गया। उसे भी भगाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
हाल ही में जयपुर, एमपी के ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर से जुड़े क्षेत्रों में, और महाराष्ट्र के अमरावती, नागपुर और वर्धा के खास इलाकों में टिड्डे दल देखे गए।
पाकिस्तान से 11 अप्रैल को भारत में घुसे टिड्डियों के दल राजस्थान के छह जिलों में प्रवेश कर चुके हैं। कृषि विभाग के आयुक्त ओमप्रकाश ने कहा कि ‘‘हमने किराये पर लिये गये ड्रोन का उपयोग करना शुरू किया है और आने वाले कुछ दिनों के आवश्यकतानुसार और ड्रोन इस्तेमाल किए जाने की संभावना है।’’ उन्होंने बताया कि ड्रोन ऊंचाई से कीटनाशक का छिड़काव करने में उपयोगी होते हैं और पहाड़ी इलाकों में ट्रैक्टर में लगे छिड़काव यंत्रों (माउंटेड स्प्रेयर) के जरिये कीटनाशक छिड़का जाता है, क्योंकि वहां अन्य वाहन नहीं जा सकते। ड्रोन से 15 मिनट की उड़ान में लगभग 2.5 एकड़ क्षेत्र में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है। राज्य में टिड्डी नियंत्रण के लिये ड्रोन और छिड़काव यंत्र वाले ट्रैक्टरों के अलावा दमकल के वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
राजस्थान के कृषि विभाग ने जयपुर जिले में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये कीटनाशक के छिड़काव के लिये एक ड्रोन की मदद ली है। जयपुर जिले के चौमू के पास सामोद में ड्रोन का उपयोग किया गया। कृषि विभाग के आयुक्त ओमप्रकाश ने बताया, ‘‘हमने किराये पर लिये गये ड्रोन का उपयोग करना शुरू किया है और आने वाले कुछ दिनों के आवश्यकतानुसार और ड्रोन इस्तेमाल किए जाने की संभावना है।’’
पड़ोसी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में फसलों पर टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग और किसानों को सचेत किया गया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि राजनांदगांव जिले में लाखों की संख्या में टिड्डियों के आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। टिड्डी दल अमरावती (महाराष्ट्र) और मंडला (मध्यप्रदेश) आ चुका है। टिड्डी दल के संभावित हमले को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। किसानों को अपनी फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने का उपाय बताया जा रहा है तथा कृषि वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि राजनांदगांव जिले में टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए कलेक्टर ने जिला स्तरीय दल का गठन किया है।
कृषि अधिकारियों के अनुसार नागौर जिले में टिड्डियों के दो बड़े दल बैठे हैं। एक कुचामन के आसपास और दूसरा जायल के पास है। हवा के रुख को देखते हुए जयपुर की तरफ आने की पूरी संभावना है। दोनों दल करीब कल तक जयपुर पहुंच सकते हैं।
इस बार राजस्थान के 21 जिलों में टिडि्डयों का प्रभाव देखा जा रहा है। इनमें अजमेर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, झालावाड़, बूंदी, सीकर, जयपुर और दौसा भी शामिल हैं। इनमें से सरकार ने करीब 8 जिलों के प्रभावित 77 हजार किसानों का सर्वे करवाया है। इनमें से 55 हजार किसानों को 89 करोड़ रुपए की सहायता भी दी गई।
टिड्डियों को टोली बनाकर विभिन्न तरह के परम्परागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे, ट्रैक्टर का सायलेंसर निकाल कर तेज आवाज करें, स्वयं शोर मचाकर अथवा ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से उन्हें भगाया जा सकता है।
पिछले साल राजस्थान के 12 जिलों पर टिड्डियों ने हमला किया था। इनमें जैसलमेर, बाड़मेर, जोधुपर, बीकानेर, जालौर, सिरोही, पाली, नागौर, उदयपुर, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर में करीब 7 लाख हेक्टेयर में सरसों, जीरा, ईसबगोल और गेहूं की फसल को टिड्डियों ने चौपट कर दिया था।
पश्चिम भारत के अलग-अलग राज्यों में टिड्डियों के हमले से 1 लाख 25 हजार एकड़ कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। 4 करोड़ टिड्डियों का दल 35 हजार लोगों के हिस्सा का अनाज खा सकता है। 1993 यानी 27 साल में टिड्डियों का भारत पर ये सबसे बड़ा हमला है।
प्रतापगढ़ में टिड्डी दल ने पहले कभी घुसपैठ नहीं की थी। इस बार की घुसपैठ से कृषि वैज्ञानिक भी हैरान हैं। राजस्थान में टिड्डी दल ने अब तक करीब 37 हजार हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में लगी फसल को नुकसान पहुंचाया है।
मध्य प्रदेश के सतना में टिड्डियों के हमले से बचने के लिए 80 लीटर कीटनाशक और 4 फायर बिग्रेड की गाड़ियों की मदद ली जा रही है। वहीं जबलपुर में किसान स्टील का कनस्तर बजा कर आवाज कर टिड्डियों को भगाते दिखे। यूपी के हमीरपुर में किसानों की इस लहलहाती फसल पर टिड्डियों के हमले का खतरा है। आसमान में मंडराती इन लाखों टिड्डियों से फसलों को बचाना बड़ी चुनौती है।
टिड्डियों पर ड्रोन और ट्रैक्टरों से पेस्टिसाइड का छिड़काव किया जा रहा है। भारतीय कृषि विज्ञान संस्थान पूसा के प्रधान वैज्ञानिक जे.पी.एस डबास ने चेताया कि अगर गर्मी में इन पर काबू पा लिया गया तो ठीक नहीं तो बारिश होते ही नमी बढ़ेगी, जो टिड्डियों की तादाद में कई गुना इजाफा कर देगी।
मध्य प्रदेश और राजस्थान से लगते यूपी के 10 जिलों को अलर्ट पर रखा गया है। इन दो राज्यों में टिड्डी के झुंडों द्वारा हमले के बाद अब यूपी पर खतरा मंडरा रहा है। शुरू में टिड्डी दल पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से सीमावर्ती राज्य राजस्थान में घुसे थे, जिसके बाद पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश में भी इन्होंने मुश्किलें बढ़ा दीं। इन सभी राज्यों के किसान डरे हुए हैं।
वर्तमान में टिड्डियों से फसल के नुकसान की संभावना कम है क्योंकि किसानों ने अपनी रबी की फसल पहले ही काट ली है। महाराष्ट्र में संतरा उत्पादकों ने चिंता व्यक्त की है लेकिन एलडब्ल्यूओ के उप निदेशक के एल गुर्जर का कहना है कि महाराष्ट्र में झुंड को नियंत्रित करना आसान होगा।
टिड्डियों का यह झुंड खाने और प्रजनन के मकसद से बड़े क्षेत्र में लगी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक एक औसत टिड्डी दल ढाई हजार लोगों का पेट भरने लायक अनाज को चट कर सकता है।
टिड्डे जयपुर, एमपी के ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और महाराष्ट्र के अमरावती, नागपुर और वर्धा जैसे छेत्रों में देखे जा सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक आसमान में उड़ते हुए इन टिड्डी दलों में दस अरब तक टिड्डे हो सकते हैं। ये सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में फैले हो सकते हैं। ये झुंड एक दिन में 200 किलोमीटर का रास्ता तय कर सकते हैं।
राजस्थान के बाद टिड्डी दल उत्तर प्रदेश में भी कोहराम मचा सकता है। यूपी के आगरा, लखीमपुर खीरी, मेरठ, शाहजहांपुर, प्रतापगढ़, बदायूं, फिरोजाबाद, झांसी और कानपुर देहात में भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है।