लोको पायलट और उनके संगठनों ने ‘पुश बटन कांस्टेंट स्पीड कंट्रोल सिस्टम’ (BPCS) के उपयोग पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग की है। यह सिस्टम चालक को देश के कुछ रेलवे जोन में रात के दौरान हाई-स्पीड ट्रेन में वांछित गति तय करने की अनुमति देता है। लोको पायलटों ने कहा कि बीपीसीएस एक कम्प्यूटरीकृत प्रणाली है जो सभी हाई-स्पीड ट्रेन इंजनों में उपलब्ध है, जो उन्हें किसी विशेष बिंदु पर ट्रेन की गति तय करने में मदद करती है।
एक लोको पायलट ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ट्रेन रूट के कुछ हिस्से ऐसे होते हैं, जहां काफी समय तक स्थायी स्पीड लिमिट 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा होती है। ऐसे मामले में लोको पायलट स्पीड को 130 किमी प्रति घंटे पर तय कर सकता है और सिग्नल और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों जैसे सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित अनुसंधान और सुरक्षा प्राधिकरण जैसे अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) ने रात में इसके उपयोग पर कभी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालांकि, उत्तर मध्य रेलवे जैसे कुछ रेलवे जोन ने इसके रात के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे लोको पायलट को काफी असुविधा हो रही है।’’
रात के समय गति नियंत्रण प्रणाली के उपयोग पर प्रतिबंध
उत्तर मध्य रेलवे जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) शशिकांत त्रिपाठी ने कहा कि रात के समय गति नियंत्रण प्रणाली के उपयोग पर प्रतिबंध इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि यह देखा गया है कि कुछ लोको पायलट बीपीसीएस प्रणाली का उपयोग करने के बाद बहुत अधिक आराम की स्थिति में आ जाते हैं और सावधानी नहीं बरतते।
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लोको पायलट ने उठाए बैन पर सवाल
शशिकांत त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हमने पाया कि कुछ मामलों में लोको पायलट झपकी ले लेते हैं जिसके बाद हमने रात में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, दिन के समय वे जब चाहें इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।’’ कई लोको पायलट ने सवाल उठाया कि जब दक्षिणी भागों में अन्य रेलवे जोन में इस तरह के प्रतिबंध नहीं हैं तो उत्तरी राज्यों में ऐसे असंगत मानदंड क्यों अपनाए जा रहे हैं।
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (IRLRO) के केंद्रीय कोषाध्यक्ष और मंडल सचिव कमलेश सिंह ने पिछले साल मई में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर कर यह पता लगाने की कोशिश की थी कि क्या आरएसडीओ, जिसने हाई-स्पीड इंजनों के लिए बीपीसीएस को डिजाइन और लागू किया है, उसने रेलवे को इसके रात के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। आरडीएसओ ने कहा कि उसने ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है।
आईआरएलआरओ के कार्यकारी अध्यक्ष संजय ने भी बीपीसीएस के इस्तेमाल में छूट की मांग की और कहा कि इस प्रणाली के कई फायदे हैं। उन्होंने कहा, “यह प्रणाली न केवल ड्राइवर को हर समय सतर्क रखती है और उसे अन्य सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने देती है बल्कि यह ट्रेनों की समयबद्धता बनाए रखने में भी मदद करती है। इससे बहुत अधिक ऊर्जा की भी बचत होती है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(इनपुट- पीटीआई-भाषा)
