लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नए अध्यक्ष और बागियों के नेता पशुपति नाथ पारस 17 जून को पटना में भड़क गए। पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद आए प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों का वार झेल नहीं सके। जवाब दिए बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ दी। भड़क कर चले गए।
दरअसल, पारस से एक व्यक्ति, एक पद के उन्हीं के नारे पर सवाल पूछा गया था। पारस ने कहा था कि लोजपा का संविधान एक व्यक्ति, एक पद की ही इजाजत देता है। इसी तर्क का हवाला देते हुए उन्होंने चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाए जाने को उचित ठहराया था। पत्रकारों ने पारस से पूछा कि अगर आपको केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया तो अन्य पद छोड़ेंगे? पारस ने कहा- मैं मंत्री बना तो संसदीय दल का नेता नहीं रहूंगा। इस पर पत्रकारों ने पूछा- और पार्टी अध्यक्ष का पद? इस पर पारस ने जवाब दिया- आपको इतना भी नहीं पता कि सरकार और पार्टी अलग है। इसके बाद पारस प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ कर चले गए।
चिराग को झटके पर झटका, चाचा बन गए एलजेपी अध्यक्ष
इससे पहले भी पत्रकारों ने उन पर सवालों से कड़े हमले किए। उनसे पूछा गया कि आपने कहा था कि रामविलास पासवान आपको तनाव से निपटने का सूत्र समझा गए थे तो क्या चाचा-भतीजा विवाद सुलझाने का भी सूत्र दे गए थे? इस पर भड़कते हुए पारस ने कहा- जब भतीजा तमाशा हो जाएगा तो चाचा क्या करेगा?
चाचा और भतीजे के बीच उपजे तनाव के कारण लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ हो चुकी है। दोनों ही गुट पार्टी पर अपना अधिकार साबित करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। पहले पशुपति कुमार पारस खेमे ने सांसदों के साथ मिलकर पार्टी पर अपना दावा ठोकते हुए चिराग को अध्यक्ष पद से हटा दिया तो वहीं दूसरी तरफ चिराग ने पांचों सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पारस ने सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर किस अधिकार के तहत सांसदों को पार्टी से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि यही चिराग पासवान विशेषता है जिसके कारण पूरा देश आज उन पर हंस रहा है। पार्टी संविधान की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य को दलविरोधी गतिविधि के आधार पर निकालने से पहले नोटिस दिया जाता है।
उधर, चिराग ने कल हुंकार भरते हुए कहा था- शेर का बेटा हूं, आखिरी दम तक लड़ूंगा। चिराग का कहना था कि जो हुआ वो मेरे लिये ठीक नही था। फूट और बिहार की राजनीति में अलग-थलग पड़ने के बीच चिराग ने कहा कि एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। लड़ाई लंबी है और समय-समय पर सवाल का जवाब वो देंगे।
गुरुवार दोपहर को मामले में तब नया ट्विस्ट आ गया जब नेशनल काउंसिल ने पारस के एलजेपी अध्यक्ष मनोनीत कर दिया। उधर, चिराग ने संसदीय दल के नेता के तौर पर चाचा पारस को मान्यता देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि वो इस पद के सही हकदार हैं।
सूत्रों का कहना है कि चिराग को सत्तारूढ़ बीजेपी मदद नहीं कर रगी। यही वजह रही कि ओम बिरला ने आनन-फानन में चिराग से अलग हुए सांसदों को मान्यता दे डाली। उधर, कांग्रेस ने कहा कि चिराग को चाहिए कि वो उनके दल में आ जाए। लड़ाई के लिए कांग्रेस उनकी मदद को तैयार है।