इलाहबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन पार्टनर से बलात्कार के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि भारत में शादी की व्यवस्था को खत्म करने के लिए  व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है। न्यायमूर्ति सिद्दार्थ ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि शादी एक ऐसी व्यवस्था है जिससे इंसान को सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति और स्थिरता मिलती है जबकि यह लिव-इन-रिलेशनशिप में असंभव है। 

हर मौसम में पार्टनर बदलने का रिवाज…

न्यायमूर्ति सिद्दार्थ ने कहा कि हर मौसम में पार्टनर बदलना स्थिर और स्वस्थ समाज की पहचान नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा, “लिव-इन-रिलेशनशिप को इस देश में शादी की व्यवस्था के खत्म होने के बाद ही नॉर्मल माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहां इस व्यवस्था को बचाए रखना मुश्किल हो गया है।” उच्च न्यायालय ने कहा कि भारत में मध्यम वर्ग की नैतिकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

अपने आदेश में हाईकोर्ट  ने यह भी कहा कि देश में इसी तरह से चलता रहा तो हम भविष्य में हमारे लिए एक बड़ी समस्या पैदा करने की ओर बढ़ रहे हैं। कोर्ट ने कहा, “लिव-इन-रिलेशनशिप का कांसेप्ट इस तरह से पेश किया जा रहा है कि यह एक प्रोग्रेसिव सामज की ओर बढ़ते कदम हैं, जबकि ऐसा नहीं है। युवा इसके परिणाम से अनजान होते हैं और गलत फैसले ले लेते हैं।”

क्या था मामला? 

जिस मामले पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रही थी वो अदनान और उसकी प्रेमिका से जुड़ा था। अदनान पर उसकी लिव-इन पार्टनर ने उससे शादी करने के वादे से मुकरने का आरोप लगाया गया था। उसे इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 19 वर्षीय महिला की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।

वे एक साल तक साथ रहे। जब महिला गर्भवती हो गई, तो अदनान ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद महिला ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उसने शादी के झूठे वादे पर उसके साथ यौन संबंध बनाए।