गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या 674 से बढ़कर 891 हुई। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने बुधवार को बताया कि गुजरात में एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या बढ़कर 891 हो गई है जो पांच साल पहले 674 थी। इससे पहले जून 2020 में हुई पिछली गणना में शेरों की संख्या 674 दर्ज की गई थी।

पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गुजरात में एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या बढ़कर 891 हो गई है।’’ अधिकारिक रिलीज के अनुसार, 10 से 13 मई तक दो चरणों में चार दिवसीय 16वीं एशियाई शेर गणना कराई गई। यह गणना राज्य के 11 जिलों के 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में की गई। शुरूआती गणना 10 और 11 मई को की गई जबकि अंतिम गिनती 12 और 13 मई को 3,000 से अधिक स्वयंसेवकों की मदद से की गई। कुल 58 तालुकों में यह गणना करने में क्षेत्रीय, अंचल एवं उप-अंचल अधिकारियों, गणनाकारों, सहायक गणनाकारों और निरीक्षकों ने हिस्सा लिया।

एशियाई शेर मुख्य रूप से गुजरात के गिर जंगलों में पाए जाते हैं जो दुनिया में इस प्रजाति का अंतिम निवास स्थान है। एशियाई शेर केवल गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान और उससे लगे जिलों में पाए जाते हैं। जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेन्द्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर और बोटाद में एशियाई शेर पाए जाते है।

Gujrat के 11 जिलों में फैले हैं शेर

अधिकारियों ने बताया कि पहले ये शेर जूनागढ़ और अमरेली जिलों के गिर राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित थे, लेकिन अब ये 11 जिलों में फैल गए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपाल सिंह ने बताया कि गिर राष्ट्रीय उद्यान और उससे जुड़े अभयारण्यों में 384 शेर पाए गए, जबकि 507 शेर इन क्षेत्रों के बाहर मिले हैं। उन्होंने बताया कि गिर के बाहर शेरों को पनिया, मटियाला, गिरनार और बारदा जैसे संरक्षित क्षेत्रों में देखा गया। इसके अलावा कई शेर गैर-जंगल और तटीय इलाकों में भी मिले। बारदा अभयारण्य में भी 17 शेरों को देखा गया, जो पोरबंदर से करीब 15 किलोमीटर दूर है। अधिकारी ने बताया कि भावनगर जिले में एक ही झुंड में सबसे ज्यादा 17 शेर पाए गए।

एशियाई शेरों की जनसंख्या में 217 की वृद्धि

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा बुधवार को घोषित 16वीं शेर जनगणना के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसमें 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक हैं। वन विभाग द्वारा 10 मई से 13 मई के बीच किये गए आकलन में एशियाई शेरों की जनसंख्या में 217 की वृद्धि दर्ज की गई। अधिकारियों ने बताया कि यह 2015 के बाद से गुजरात सरकार द्वारा की गई पहली पूर्ण शेर जनगणना थी। जनगणना में सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों जूनागढ़, गिर-सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेंद्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर और बोटाद में फैले 35,000 वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल किया गया।

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गुजरात ने ऐसे की शेरों की गणना

यह आकलन प्रत्यक्ष बीट सत्यापन पद्धति का उपयोग करके किया गया था, जिसका वन विभाग पिछले 30 वर्षों से पालन कर रहा है। इस पद्धति के अंतर्गत, पूरे अभ्यास क्षेत्र को क्षेत्रों, जोनों और उप-जोनों में विभाजित किया गया था, जिसमें क्षेत्रीय, जोनल, उप-जोनल अधिकारी, गणनाकार और सहायक गणनाकार, पर्यवेक्षक और स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गई थी। कुल मिलाकर 3,000 से अधिक लोग इस अभ्यास में शामिल थे।

गुजरात सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पहली शेर जनगणना 1936 में जूनागढ़ के नवाब द्वारा कराई गई थी। 1965 में गिर वन को अभयारण्य घोषित किया गया और तब से गुजरात वन विभाग हर पांच साल में नियमित रूप से शेरों की गणना करता आ रहा है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स