मुंबई के लीलावती अस्पताल ट्रस्ट ने अपने सात पूर्व ट्रस्टियों और इक्विपमेंट आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं सहित 17 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। अस्पताल के अनुसार पिछले 20 सालों में 1250 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है। अधिकांश आरोपी दुबई और बेल्जियम में रहते हैं। पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (जो वर्तमान में लीलावती अस्पताल में कार्यकारी निदेशक हैं) ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ट्रस्ट के कथित अवैध ट्रस्टियों ने पिछले ट्रस्ट के नियंत्रण में रहते हुए गलत काम किए।

1,250 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं आईं सामने

परमबीर सिंह ने कहा, “वर्तमान ट्रस्टियों के बोर्ड ने कार्यभार संभालने के बाद एक फोरेंसिक ऑडिटर को शामिल किया, और लगभग 1,250 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। इसके बाद लीलावती अस्पताल के स्थायी ट्रस्टी 55 वर्षीय प्रशांत किशोर मेहता ने बांद्रा पुलिस से संपर्क किया, लेकिन जब उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, तो मेहता ने बांद्रा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और धोखाधड़ी के संबंध में शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने बांद्रा पुलिस स्टेशन को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 175 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। बांद्रा पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। मामला जल्द ही आर्थिक अपराध शाखा (EoW) को सौंप दिया जाएगा।”

प्रशांत किशोर मेहता ने एफआईआर में आरोप लगाया कि आरोपी ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMMT) में कथित ट्रस्टी के तौर पर काम करते हुए अन्य आरोपी कंपनियों और उनके निदेशकों के साथ मिलकर मेडिकल इक्विपमेंट, फर्नीचर और तस्वीरें, कंप्यूटर, अन्य उपकरण, मेडिकल और कानूनी किताबें, कार्यालय इक्विपमेंट, बिजली के इक्विपमेंट, वाहन और एंबुलेंस, जमीन और इमारत, सर्जिकल उपभोग्य सामग्रियों, फार्मेसी, केमिस्ट आदि की खरीद में कथित तौर पर अलग-अलग तरीके अपनाकर धन का गबन किया और धोखाधड़ी की।” पुलिस ने पूर्व ट्रस्टियों और उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं सहित 17 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 406, 409, 420, 465, 467, 471, 474 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है।

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पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ तीन एफआईआर

परमबीर सिंह ने कहा कि मौजूदा मामला पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ दर्ज तीसरी एफआईआर है। पहली एफआईआर जुलाई 2024 में बांद्रा पुलिस स्टेशन में 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में दर्ज की गई थी। दूसरी एफआईआर दिसंबर 2024 में बांद्रा कोर्ट के निर्देश पर पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ दर्ज की गई थी, जिन पर वकीलों को कानूनी फीस देने के बहाने 44 करोड़ रुपये की रकम हड़पने का आरोप है। मामले की जांच ईओडब्ल्यू के पास है।

परमबीर सिंह ने कहा, “हमने प्रवर्तन निदेशालय को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे तीनों एफआईआर का संज्ञान लें, क्योंकि ये पूर्व निर्धारित अपराध हैं और इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अपराध की आय का उपयोग करके विदेशों में बड़ी संपत्ति अर्जित करने का भी मामला है। हम निष्पक्ष जांच चाहते हैं। उन्हें कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए और जांच का सामना करना चाहिए।”

‘काला जादू की सामग्री मिली’

परमबीर सिंह के अनुसार ट्रस्ट के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने कुछ महीने पहले रिपोर्ट की थी कि स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता और उनकी मां चारु मेहता के कार्यालय में काला जादू की रस्में निभाई गई थीं। उन्होंने कहा, “जब कार्यालय के फर्श को खोदा गया तो मानव अवशेष, चावल, मानव बाल और अन्य काला जादू सामग्री से भरे आठ कलश दबे हुए पाए गए। पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज करने से इनकार करने के बाद हमने बांद्रा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब मजिस्ट्रेट खुद बीएनएसएस की धारा 228 के तहत मामले की जांच कर रहे हैं।” वहीं प्रशांत मेहता ने कहा कि यह अस्पताल उद्योग में सबसे बड़ा घोटाला है और इससे लीलावती अस्पताल के कामकाज पर असर पड़ा है। मेहता ने कहा, “यह एक धर्मार्थ ट्रस्ट है और जो पैसा गलत इरादे से निकाला गया, उसका इस्तेमाल समाज और जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए तीन और ऐसे अस्पताल बनाने में किया जा सकता था।”