केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने शनिवार को कॉलेजियम के मुद्दे को ‘माइंड गेम’ बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस बारे में बात नहीं करेंगे। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित सहित सरकार के समक्ष लंबित उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम (Collegium System) की विभिन्न सिफारिशों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यहां यह टिप्पणी की।

किरेन रिजिजू ने कहा, “कॉलेजियम का मुद्दा दिमागी खेल का है। मैं इस बारे में बात नहीं करने जा रहा हूं।” किरेन रिजिजू अरुणाचल प्रदेश में 4G सेवाओं के लिए 254 मोबाइल टावर समर्पित करने के कार्यक्रम के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख मुद्दा था। किरेन रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं और एक बार तो उन्होंने इसे ‘हमारे संविधान से अलग’ भी कहा था।

किरेन रिजिजू ने फरवरी में कहा था, ”मैंने रिपोर्ट देखी कि सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम पर चेतावनी दी है। इस देश के मालिक इस देश के लोग हैं और हम सेवक हैं। हमारा गाइड संविधान है। संविधान (Constitution) के अनुसार देश चलेगा। कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। हम अपने आप को सेवक के रूप में देखते हैं।”

इसके पहले किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम की वजह से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय संविधान में यह बहुत स्पष्ट है कि जजों को परामर्श के अलावा जजों की अपॉइंटमेंट प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहिए। यह काम कार्यपालिका द्वारा किया जाना है।

बता दें कि 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मसले पर केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था हम आपको 10 दिनों का वक्त दे रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कड़ा स्टैंड लेने के लिए मजबूर ना करें।

वहीं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि जजों की नियुक्ति के लिए हम जिस पैरामीटर को अपनाते हैं, वह पूरी तरह साफ और स्थापित है। उन्होंने कहा था कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट में किसी की नियुक्ति की सिफारिश करती है तो हम सबसे पहले पिछले 3 सालों के दौरान हाईकोर्ट के जजों द्वारा दिए गए फैसलों को देखते हैं।