मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बीते तीन दिनों में दो चीतों की मौत के बाद प्राशासन काफी सतर्क दिखाई दे रहा है। अधिकारियों ने चीतों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग तरह के सुझाव पेश किए हैं, इन सुझावों में खुले में घूम रहे 10 चीतों से रेडियो कॉलर हटाने की कवायद भी शामिल है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हो रही चीतों की मौत को लेकर अधिकारियों की मदद के लिए दो दक्षिण अफ़्रीकी चीता विशेषज्ञों ने भी भारत का दौरा किया है।
इन विशेषज्ञों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रेडियो कॉलर मुश्किल पैदा कर सकते हैं इसलिए इसे हटा दिया जाना चाहिए। हालांकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने रविवार को कहा कि रेडियो कॉलर के कारण चीतों की मौत की रिपोर्ट वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं है, और सभी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुई हैं।
क्या रेडियो कॉलर ही कारण है?
मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे एस चौहान ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रेडियो कॉलर ही इसका कारण है या नहीं इसपर हम गहनता से चर्चा करेंगे।
जे एस चौहान ने कहा, “कल इस मुद्दे पर हमारी बैठक है, रेडियो कॉलर के कारण संक्रमण फैलने की संभावना रहती है, इन मामलों में ज़्यादा नमी के रहते चीता अपनी त्वचा को खरोंचता है और इससे उसे घाव होने लगते हैं, इससे वह बीमार पड़ने लगता है, हमें यह देखने के लिए गहन जांच की ज़रूरत है कि क्या इसके अन्य कारण भी हैं, रेडियो कॉलर बहुत खतरनाक चीज़ नहीं है लेकिन फिर भी हम इसकी जांच करेंगे।”
बाकी चीतों में भी एक जैसी बीमारी
“एक अधिकारी के मुताबिक दो और नर चीतों में भी ऐसी ही समस्या देखी गई है। उन्होने कहा, “हमें संदेह है कि दो और नर चीतों में ऐसी समस्या हो सकती है। हमारी मॉनिटरिंग के दौरान यही देखने को मिला है, हम उनके रेडियो कॉलर हटाने जा रहे हैं…सभी 10 जंगली चीतों के कॉलर हटाने में बहुत समय लगेगा। बाड़े के अंदर 5 चीते भी हैं। हम यह नहीं कह सकते कि आज़ाद घूम रहे चीतों के कॉलर हटाने में कितना समय लगेगा, लेकिन हमें उनके कॉलर हटा देना चाहिए और उन सभी की निगरानी करनी चाहिए। हम इस मुद्दे पर सख्ती से निगरानी रखेंगे।”