लोकसभा में 124वां संविधान संशोधन बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने पीएम मोदी के सम्मान में एक तुकबंदी पेश की। उनकी तुकबंदी पर सदन में खूब ठहाके भी लगे। लेकिन, अठावले की यह रचना कवि कुमार विश्वास को रास नहीं आई। उन्होंने ट्वीट करके अठावले की रचना पर दुख जाहिर किया। रामदास अठावले लोकसभा में चर्चा के दौरान अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने कविता के जरिए मोदी सरकार की स्थिति को पेश करने की कोशिश की।
कुमार विश्वास ने कविता के जरिए तंज कसते हुए इसे हल्के-फुल्के लोकतंत्र का हिस्सा बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “लोकतंत्र की जिस संसदीय शक्तिपीठ में, कभी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, बालकवि बैरागी और उदयप्रताप जी जैसे कवियों ने भाषा और कविता का गुण-गौरव गुंजाया था, वहां का हालिया ‘उत्कर्ष’ आप सब ‘मतदाताओं’ की सेवा में प्रस्तुत है। ऐसे हल्के-फुल्के लोकतंत्र की जय हो।”
लोकतंत्र की जिस संसदीय शक्तिपीठ में, कभी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारीसिंह दिनकर, बालकवि बैरागी और उदयप्रताप जी जैसे कवियों ने भाषा और कविता का गुण-गौरव गुंजाया था, वहाँ का हालिया “उत्कर्ष” आप सब “मतदाताओं” की सेवा में प्रस्तुत है ! ऐसे “हल्के-फुल्के”लोकतंत्र की जय होpic.twitter.com/sTkHOUuqEY
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) January 9, 2019
रामदास अठावले ने इसके अलावा राज्यसभा में भी अपनी दूसरी तुकबंदी पेश की। उन्होंने इसके जरिए विरोधियों पर निशाना साधा। उन्होंने अपनी कविता के जरिए राहुल पर तंज कसा और कहा कि 2019 में कांग्रेस का सफाया हो जाएगा। हालांकि, कुमार विश्वास के ट्वीट पर प्रतिक्रियाओं की भी बाढ़ देखने को मिली। अधिकांश लोगों ने कविता के स्तर को नहीं मापने की नसीहत दी। कुछ लोगों ने इसे हंसी-ठहाके वाला तुकबंदी बताया।