भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में दी गई फांसी से बचाने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया है। लेकिन भारत के पक्ष को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान पहले ही एक चाल चल चुका है। दरअसल कुलभूषण जाधव को ‘जासूसी और हिंसक गतिविधियों’ के नाम पर फांसी दिए जाने से 12 दिन पहले ही पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) को यह सूचित कर दिया था कि पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ा यह मामला ICJ की न्याय सीमा से बाहर होगा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत मलीहा लोधी ने यह घोषणापत्र यूएन सेक्रेटरी जनरल एनटोनियो गुटेरेस को 29 मार्च को सौंपा था। नए घोषणापत्र ने पाकिस्तान के 12 सितंबर 1960 को सौंपे गए पुराने घोषणापत्र का स्थान ले लिया।

इंडियन एक्सप्रेस ने इन दोनों घोषणापत्रों की पड़ताल की है और पाया कि नए पत्र में नेशनल सिक्योरिटी अनुच्छेद को प्रमुख रूप से जोड़ा गया है। असल में यह घोषणापत्र एक प्रकार की नियम और शर्ते होती हैं जिसके तहत कोई भी देश ICJ के न्याय को स्वीकार करता है। नई दिल्ली स्थित उच्च सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह पूरी तरह से ICJ कोर्ट में भारत की कोशिश को नाकाम करने का पहले से सोचा समझा कदम था। सूत्र ने कहा, “इससे साफ हो जाता है कि पाकिस्तान सरकार ने फांसी देने का मन बना लिया है। ”

पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को पुष्टि करते हुए बताया कि पाकिस्तान को पहले से भारत के इस कदम की संभावना थी। पाकिस्तान सरकार की ओर लोधी द्वारा सौंपे गए घोषणापत्र में नेशनल सिक्योरिटी का विकल्प भी जोड़ा गया है, जोकि पुराने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं था। वहीं, 15 सितंबर 1974 को सौंपे गए भारत के घोषणापत्र में भी इसका जिक्र नहीं किया गया था।

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव को पाकिस्तान ने मार्च 2016 में बलूचिस्तान में गिरफ्तार करने का दावा किया था। पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए काम कर रहा था। वहीं भारत का कहना है कि जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि ईरान से अगवा किया गया था।