तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट (KKNPP) के अफसरों ने मंगलवार को इसके कंट्रोल सिस्टम हैक होने की खबरों का खंडन किया। हालांकि, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एक ऑडिट में इस बात की पुष्टि हुई है कि एक ‘घटना’ हुई थी। हालांकि, यह पावर प्लांट के मेन ऑपरेशन से जुड़ी हुई नहीं थी।

बता दें कि एक थर्ड पार्टी मल्टीनैशनल आईटी कंपनी को सितंबर में इस साइबर हमले की जानकारी मिली थी। कंपनी ने इसकी सूचना नैशनल साइबर सिक्योरिटी काउंसिल (NCSC) को दी थी। एक सूत्र ने बताया कि NCSC ने साइबर ऑडिट टीम बनाई, जो सितंबर मध्य में पावर प्लांट आई थी। उन्होंने अक्टूबर के पहले हफ्ते में KKNPP के अधिकारियों से मुलाकात की थी। साथ ही अपनी सिफारिशों के साथ एक अडवाइजरी भी सौंपी थी।

सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि सुरक्षा में सेंध (breach) की घटना हुई थी। हालांकि, सूत्र ने यह भी बताया कि इससे प्लांट के मेन ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ा। इसका असर उन कम्प्यूटरों पर पड़ा, जिसका इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यों के लिए होता है। बता दें कि ऑडिट की फाइनल रिपोर्ट फिलहाल आनी बाकी है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, NCSC और KKNPP ने मिलकर प्रेस रिलीज जारी कर कंट्रोल सिस्टम पर साइबर हमले का खंडन करने का फैसला किया। चूंकि, ऑडिट में पता चला था कि सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर सेंध हुई है और मुख्य कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है। सूत्र ने बताया कि अगर सरकार खंडन करने के बजाए कोई सफाई देती तो मामला और तूल पकड़ सकता था और उसकी छवि पर असर पड़ता।

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उधर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने टि्वटर पर सरकार से इस मामले में सफाई मांगी। उन्होंने लिखा, ‘यह बेहद गंभीर लगता है। अगर कोई शत्रु ताकत हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों पर साइबर हमले में सक्षम है तो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरकार को इस मामले पर हमें सफाई देनी चाहिए।’

बता दें कि सोशल मीडिया पर किए गए कई पोस्ट में इस साइबर ब्रीच को कम्प्यूटर वायरस DTrack से जोड़कर बताया जा रहा है। पिछले साल साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्परस्काई ने कई वित्तीय संगठनों और रिसर्च सेंटरों में हुईं सेंध के मामलों में इस वायरस का पता लगाया था। हालांकि, अधिकारी ने मामले के इस वायरस से किसी लिंक की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया।