पश्चिम बंगाल में कोलकाता रेप कांड को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। कई दिनों के बाद भी यह विवाद थमा नहीं है और सड़कों पर ही डॉक्टर्स की हड़ताल जारी है। इस बीच राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने कुछ ऐसे बयान दे दिए हैं जिससे अटकलें चल पड़ी हैं कि क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लग सकता है? क्या राज्यपाल के कहने पर प्रेसिडेंट मुर्मू ऐसा फैसला सुना सकती हैं?
राष्ट्रपति शासन: नियम क्या कहता है?
अब सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि राष्ट्रपति शासन कब और कौन लगा सकता है। संविधान के आर्टिकल 356 में राष्ट्रपति शासन को लेकर विस्तार से बताया गया है। असल में राष्ट्रपति के पास पूरी ताकत होती है कि वे किसी भी राज्य में प्रेसिडेंट रूल लगा सकें। उन्हें बस इस बात से संतुष्ट होना होता है कि वर्तमान में राज्य सराकर संविधान के प्रावधानों के मुताबिक काम नहीं कर रही है। बड़ी बात यह है कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिर्फ राज्यपाल की रिपोर्ट की जरूरत नहीं होती है।
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शासन राष्ट्रपति का, ताकत केंद्र की बढ़ती
अगर राज्यपाल की रिपोर्ट आती है तो उस आधार पर तो राष्ट्रपति शासन लग ही सकता है। अगर कोई रिपोर्ट नहीं भी आती है, उस स्थिति में भी राष्ट्रपति इतना बड़े फैसले ले सकते हैं। वैसे जब भी किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाता है, तब केंद्र में जिसकी भी सरकार रहती है, वो पूरी तरह ताकतवर बन जाती है। अगर किसी राज्य में दंगे जैसी स्थिति हो और वहां पर राष्ट्रपति शासन लगे, तब केंद्र सरकार अपना अधिकार वहां स्थापित कर सकती है। अब पश्चिम बंगाल को लेकर अगर राष्ट्रपति शासन का फैसला होता है तो वहां भी केंद्र सरकार ही और ज्यादा शक्तिशाली हो जाएगी।
आपातकाल का इतिहास
वैसे देश में राष्ट्रपति शासन लगाने का लंबा इतिहास है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सबसे ज्यादा बार अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति शासन लगवा दिया था। इसी तरह नेहरू और अटली बिहारी वाजपेयी के समय भी राष्ट्रपति शासन लग चुका है। एक आंकड़ा बताता है कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को छोड़कर, भारत के सभी राज्यों में राष्ट्रपति शासन 123 बार लगाया जा चुका है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों में 19 बार का लगाया जाना शामिल नहीं है। इसके ऊपर बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, मणिपुर और केरल में सबसे अधिक बार सरकारें बर्खास्त की गई हैं।
अवधि के मामले में पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने इसका ज्यादा खामियाजा उठाया है। आम तौर पर राष्ट्रपति शासन दो महीने के लिए लागू रहता है जब तक कि संसद इसे छह महीने तक के लिए बढ़ा नहीं देती।