पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में काली पूजा के अवसर पर मेट्रो सुविधा से जुड़े कुछ ऐलान किए गए हैं, जो काफी राहत देने वाले हैं। अधिकारियों ने बताया कि 31 अक्टूबर को काली पूजा की रात प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर और कालीघाट मंदिरों में भक्तों की यात्रा की सुविधा के लिए, कोलकाता मेट्रो रात 9.40 बजे से 11 बजे के बीच दक्षिणेश्वर-न्यू गरिया मार्ग (ब्लू लाइन) पर दोनों दिशाओं में आठ विशेष ट्रेनें चलाएगा।
क्या जानकारी है?
कोलकाता मेट्रो ने एक बयान में कहा कि आठ ट्रेनें – दोनों मार्गों पर चार-चार – 20 मिनट के अंतराल पर चलेंगी। जबकि चार ट्रेनें कवि सुभाष (न्यू गरिया) से रात 10 बजे, 10.20 बजे, 10:40 बजे और 11 बजे चलेंगी, दक्षिणेश्वर की ओर से ट्रेनें रात 9.48 बजे, 10.08 बजे, 10.28 बजे और 10:48 बजे चलेंगी।
31 अक्टूबर (गुरुवार) को पूरे दिन में मेट्रो ब्लू लाइन पर 292 सेवाओं के बजाय 198 सेवाएं (99 अप और 99 डाउन) संचालित करेगी, रात में दी जाने वाली सुविधा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
ग्रीन लाइन-1 (सियालदह-सेक्टर V) में मेट्रो 106 दैनिक सेवाओं के बजाय 90 (45 पूर्व की ओर और 45 पश्चिम की ओर) सेवाएं चलाएगी। उस दिन ग्रीन लाइन-2 (हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड), पर्पल लाइन (जोका-माजेरहाट) और ऑरेंज लाइन (न्यू गरिया-रूबी) में सेवाएं अपरिवर्तित रहेंगी।
काली पूजा का महत्व
जब पूरा देश दीपावली मना रहा होता है तो बंगाली परिवारों में बहुत ही श्रद्धा से मां काली की पूजा अर्चना की जाती है। कोलकाता में तो मिली-जुली संस्कृति है और पूरी जनसंख्या के 35 फीसद लोग हिंदीभाषी हैं। इसलिए यहां दीपावली भी धूमधाम से मनाई जाती है। बंगाल में प्राचीन काल से शक्तिपूजा होती रही है।
मध्यकालीन युग में बंगाल से लेकर यूरोप तक में अनेक स्थलों पर काला जादू (ब्लैक मैजिक) के प्रभाव के उल्लेख मिले हैं। उस समय मां काली के सच्चे भक्तों ने काला जादू के प्रभाव को नकार कर कालीपूजा के महत्व को स्थापित किया। आज बंगाल काला जादू के लिए नहीं, कला और साहित्य के लिए जाना जाता है। आज भी तंत्र साधना के लिए तारापीठ विख्यात है। लेकिन तंत्र साधक सरेआम नहीं पहचान में आते। वे आधी रात को गुप्त रूप से तंत्र साधना करते हैं।