कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 साल की महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ 8-9 अगस्त की रात दरिंदगी हुई थी। देश की आज़ादी के पर्व से चंद दिन पहले हुए इस जघन्य अपराध ने पूरे देश को एक बार फिर ठहर कर सोचने पर मजबूर किया है। अफसोस की बात यह है कि अगले दिन जब लड़की के मां-बाप को सूचना दी गई तो उन्हें बताया कि उनकी बेटी ने ‘सुसाइड’ किया है। वह दौड़ कर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्हें 3 घंटे तक उनकी बेटी के पास नहीं जाने दिया गया। जब वह उसके पास पहुंचे तो बेटी उन्हें आधे कपड़ों और शरीर पर गहरी चोटों के निशान के साथ मृत मिली।

कोलकाता पुलिस ने चार्ज लिया। जांच शुरू हुई। बलात्कार की पुष्टि हुई। सुसाइड का झूठा नैरेटिव ध्वस्त हो गया। पोस्टमार्ट्म रिपोर्ट के खुलासों ने हैवानियत की पूरी कहानी सामने रख दी। बात खबरों के माध्यम से देश के पास पहुंची। हर बार की तरह खूब हंगामा हुआ और अब मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है।

कोलकाता रेप केस: परिवार को गुमराह किया गया

यह सब कैसे हुआ, कब हुआ, आरोपी कैसे उस जगह पहुंच गया जहां ट्रेनी डॉक्टर मौजूद थी और क्यों किसी को इसकी भनक नहीं लगी। यह सबकुछ जांच का विषय है। लेकिन हम अबतक मिली जानकारी आप तक पहुंचा रहे हैं। पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि उसकी हत्या से कुछ घंटे पहले रात 11.30 बजे उससे बात हुई थी और वह वह हमेशा की तरह अच्छे से बात कर रही थी। किसी तरह की दिक्कत, परेशानी का अंदेशा नहीं था।

क्यों मां-बाप को बेटी के पास जाने से रोका गया?

माता-पिता ने कहा कि अगले दिन सुबह 10.53 बजे अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है। करीब 22 मिनट बाद उसी सहायक अधीक्षक ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी ने अस्पताल परिसर में आत्महत्या कर ली है। अदालत को बताया गया है कि वह तुरंत अस्पताल पहुंच गए थे और उन्हें उनकी बेटी का शव देखने की अनुमति नहीं दी गई। 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। परिवार का मानना है कि ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा था। जब मुख्यमंत्री ने मामले में हस्तक्षेप किया तो उन्हें उनकी बेटी के पास जाने दिया गया। लेकिन ऐसा क्यों किया गया? और क्यों इसे सुसाइड दिखाने का प्रयास हुआ?

‘बेटी के शरीर पर गंभीर निशान थे, यह सुसाइड नहीं था’

पीड़िता के माता-पिता उस स्थिति के बारे में बताते हैं जब पहली बार बेटी के शव के पास गए थे। उन्होंने कहा कि उसके शरीर पर खून बहने के निशान थे और शरीर के निचले हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं था। उसके साथ इतनी दरिंदगी हुई थी कि यह माना जाए कि किसी एक शख्स का काम नहीं था। बल्कि ज़्यादा लोग इसमें शामिल थे।

पीड़िता की मां ने हॉस्पिटल परिसर में बयान दिया था और कहा था,”मैं उनके पैरों पर गिर पड़ी और उनसे विनती करने लगी कि वे मुझे मेरी बेटी से मिलने दें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। कोई नहीं समझता कि मैं किस दौर से गुजरी। उन्होंने हमें दोपहर 2 बजे उसे देखने दिया।” हालांकि लड़की के माता-पिता को इंतज़ार कराने की बात को राज्य सरकार ने खारिज किया है।

स्थानीय पुलिस कब पहुंची: फिर क्या-क्या हुआ?

राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पुलिस चौकी को शुक्रवार सुबह 10.10 बजे घटना की सूचना मिली। सुबह 10:30 बजे स्थानीय पुलिस यानी ताला पुलिस स्टेशन को सूचना दी गई। सुबह 11:00 बजे होमिसाइडल टीम आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पहुंची और तब तक 150 से ज़्यादा लोग जमा हो चुके थे। इसके बाद कई बड़े अधिकारी हॉस्पिटल पहुंचे।

राज्य सरकार ने कहा कि लोगों के जमा होने और प्रदर्शन के कारण पीड़िता के शव को सेमिनार हॉल से बाहर नहीं ले जाया जा सका और एक डॉक्टर ने सेमिनार हॉल में शव की जांच की। बाद में रैपिड एक्शन फोर्स को बुलाना पड़ा और शाम 6.10 से 7.10 बजे के बीच पोस्टमार्टम किया गया। अब मामला सीबीआई के हाथ में है। आरोपी भी गिरफ्त में है और जांच जारी है।