सर्दी की मार से दिल्ली–एनसीआर ठिठुरा हुआ है। प्रदूषण की वजह से आसमान में एक काली चादर भी छाई रहती है। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में दो शब्द हैं- धुंध और कोहरा। कई लोग धुंध और कोहरे को एक ही समझ लेते हैं और कई बार दोनों शब्दों का अदल-बदल कर इस्तेमाल भी कर देते हैं। लेकिन असल में धुंध और कोहरा अलग-अलग चीज़ें हैं और इनके मायने भी अलग होते हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कोहरा क्या होता है और किसी शहर पर अगर धुंध की चादर छा जाए, तो उसका क्या मतलब होता है।

आखिर कोहरा क्या होता है?

सर्दी के मौसम में जब हवा में मौजूद जलवाष्प साथ होकर पानी की बेहद छोटी-छोटी बूंदों में बदलने लगती है, तब कोहरे का निर्माण होता है। आसान भाषा में कहें तो ये पानी की सूक्ष्म बूंदें होती हैं, जो हवा में तैरती रहती हैं और इसी वजह से हमें कोहरा दिखाई देता है। वैज्ञानिक भाषा में कहा जाए तो जब हवा के तापमान और ओस बिंदु के बीच का अंतर करीब 2.5 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है, तब कोहरा बनता है।

धुंध का मतलब क्या होता है?

हवा में मौजूद धूल, धुआं और अन्य सूक्ष्म कण मिलकर जिस परत का निर्माण करते हैं, उसे धुंध कहा जाता है। धुंध की वजह से देखने में परेशानी होती है और विज़िबिलिटी काफी कम हो जाती है। नेशनल जियोग्राफिक की स्टडी बताती है कि जो स्मॉग हमें दिखाई देता है, वह अक्सर फोटोकेमिकल स्मॉग होता है। दरअसल, जब सूरज की रोशनी नाइट्रोजन ऑक्साइड और वायुमंडल में मौजूद कम से कम एक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक के साथ रिएक्ट करती है, तब फोटोकेमिकल स्मॉग बनता है।

कोहराधुंध
पानी की बूंदों से बनता है।धूल, धुआं और कणों से बनती है।
देखने की दूरी कम करता है।स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
सफेद रंग का होता है।ग्रे या गहरे रंग की होती है