Know Your City: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में महर्षि विश्वामित्र एक दिन अयोध्या पधारे। अयोध्या आकर उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि आप अपने दो बेटों को मेरी रक्षा करने के लिए भेज दीजिए। मैं आपके दोनों बेटों को शिक्षा दूंगा साथ ही वो मेरा ध्यान भी रखेंगे। पहले तो राजा दशरथ नहीं मानें लेकिन तत्कालीन स्थिति को देखते हुए अपने दोनों बेटे राम और लक्ष्मण को भेज दिया। इसके बाद महर्षि ने भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम बक्सर पहुंचे।

बक्सर में पहले से ही ताड़का राक्षसी का भय फैला हुआ था। ताड़का आए दिन ऋषि मुनियों के कार्यों में बाधा डालती रहती थी। ऐसे में वहां पहुंचने के बाद एक दिन भगवान ने ताड़का का वध कर दिया। जिसके बाद बक्सर और आसपास में रहकर ध्यान मग्न रहने वाले ऋषि बड़े आराम से अपने कार्य में लग गए।

प्लासी की लड़ाई से कंपनी को मिला बिहार बंगाल का अधिकार

बक्सर का त्रेता युग से लेकर मुगल काल और अंग्रेजों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुगल काल के दौरान हुमायूं और शेरशाह के बीच 1539 में चौसा की ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी गई थी। ये लड़ाई काफी महत्वपूर्ण इस मायने में थी कि अगर ये लड़ाई शेरशाह जीत जाता तो मुगलों का शासन दिल्ली से खत्म हो जाता। इतना ही नहीं ईस्ट इंडिया कंपनी का उत्तर भारत में एंट्री द्वार भी बक्सर की प्लासी की लड़ाई को ही माना जाता है।

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सन 1764 में बक्सर की जमीन पर प्लासी का युद्ध अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना ईस्ट इंडिया कंपनी से लड़ रही थी। मीर जफर जो कंपनी की ओर लड़ाई करते हुए अपनी सेना के साथ धोखा कर रहा था। इस युद्ध में हार के करीब पहुंचने पर मुगल बादशाह ने कंपनी की शरण ले ली। हालांकि वो पहले से ही कंपनी के अधिकारियों से मिला हुआ था। वहीं अवध के नवाब और कंपनी के बीच कुछ दिन और लड़ाई चली लेकिन अंत में नवाब को अंग्रेजी कंपनी के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। इस जीत के साथ ही कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा का अधिकार प्राप्त हो गया।

बिहारी जी का मंदिर है काफी प्रसिद्ध

गंगा नदी के किनारे स्थित बक्सर में घूमने के कई स्थान काफी महत्वपूर्ण हैं। चौका का मैदान आज भी आकर्षण का केंद्र है वहीं बिहारी जी मंदिर, ब्रह्मपुर मंदिर में लोग दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। डुमरांव राजगढ़ भी काफी प्रसिद्ध है। बक्सर स्थित बिहारी जी का मंदिर सबसे अधिक पूजनीय स्थानों में से है। जहाँ स्थानीय लोग और पर्यटक समान रूप से आते हैं। यह बक्सर से लगभग 15 किमी दूरी पर स्थित है। बिहारी जी मंदिर का निर्माण 1825 में तत्कालीन डुमरांव के महाराजा जयप्रकाश सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में ​​भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान अपने पिता के साथ यहाँ शहनाई बजाते थे।