भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान तेज बहादुर यादव ने जब फेसबुक पर वीडियो पोस्ट करके खराब खाना दिए जाने की शिकायत की तो देखते ही देखते वो वीडियो वायरल हो गया। सरकार और अफसर भले ही तेज बहादुर के आरोपों को गलत बताएं अर्धसैनिक बलों के जवानों ने तेज बहादुर को शाबाशी देते हुए कहा कि उनकी शिकायत के बाद उनका खाना सही हो गया है। आइए एक नजर डालते हैं कि जवानों तक खाना कैसे पहुंचता है और जवानों का मेस कौन चलाता है।
हर यूनिट में एक मेस कमांडर होता है जो हेड कांस्टेबल रैंक का होता है। मेस कमांडर अदर रैंक (ओआर) मेस चलाते हैं जो मुख्यतः जवानों के लिए होता है। ओआर मेस में दो तरह के राशन आते हैं- ताजा (दूध, दही, मीट और दूसरे रखने पर खराब होने वाले खाद्य पदार्थ) और सूखा राशन (दाल, चावल, गेहूं, चीनी इत्यादि)। सूखे राशन के लिए हर यूनिट का राशन अफसर या मेस कमांडर अपनी जरूरत की सूची बनाता है जिसे बटालियन स्तर के बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स के पास हर महीने भेजा जाता है। इस बोर्ड में रसोइए भी शामिल होतेे हैं।
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बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स की मंजूरी मिल जाने पर सूची को लोकल पर्चेज कमेटी (एलपीसी) के पास भेजा जाता है। एलपीसी सबसे अच्छी गुणवत्ता और सबसे अच्छी कीमत का पता करता है। राशन फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) या नजदीक के बाजार से खरीदा जाता है। अगर राशन को बाजार से खरीदना है तो एलपीसी नमूने और कीमतों को अपनी सुझाव के साथ बटालियन के कमांडिंग अफसर को भेजता है।
कमांडिंग अफसर या तो राशन खरीदने की मंजूरी दे सकता है या उसके दाम या गुणवत्ता के बारे में और स्पष्टीकरण मांग सकता है। मंजूरी मिल जाने पर एक अलग टीम इस बात की जांच करती है कि जिस राशन को मंजूरी मिली है क्या उसे ही खरीदा गया है। अगर कोई गड़बड़ी पायी जाती है तो इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देनी होती है।
देखें बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव द्वारा शेयर किया गया वीडियो:
ताजा राशन के लिए मेस कमांडर पास के बाजार से नकद खरीदारी करता है और उसकी रसीद वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपता है। सूत्रों की मानें तो पैसे की हेरफेर की संभावना इसी तरह की खरीदारी में होती है। तेज बहादुर के वीडियो के वायरल हो जाने के बाद बीएसएफ ने कहा कि वो मेस के लिए ताजा राशन की खरीदारी को नकद-मुक्त (कैशलेस) बनाने पर विचार कर रही है। संभव है कि आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ भी इस मामले में बीएसएफ की राह पर चलें। जवानों की एक शिकायत ये भी है कि उनके लिए जरूरी राशन या पौष्टिक खाद्य पदार्थों के बारे में निर्देश देने के लिए कोई डाइटीशियन या न्यूट्रिशियन नहीं होता है। एक हजार जवानों की एक बटालियन में केवल एक चीफ मेडिकल अफसर (सीएमओ) होता है।
देखें तेज बहादुर यादव द्वारा शेयर किया गया खाने का वीडियो:
अर्धसैनिक बलों को मिलने वाला राशन-


