साल 1999…देश मई की तपती गर्मी से जूझ रहा था और बॉर्डर पर बर्फ से लदे पहाड़ों के बीच भारतीय सेना के जवान करगिल में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सेना व आतंकियों को खदेड़ने में लगे थे। उसी दौरान हुआ ऑपरेशन सफेद सागर…वायुसेना के ‘बहादुर’ ने दुश्मन की पोजीशन और सप्लाई पर हमला बोल दिया और पाकिस्तान की कमर तोड़ डाली…ये बहादुर कोई और नहीं, बल्कि मिग-27 फाइटर जेट थे, जिन्हें इस जीत के बाद यह खिताब मिला था। अब वही बहादुर फाइटर जेट आज यानी 27 दिसंबर को अपनी आखिरी उड़ान भरेंगे और देश की सेवा से रिटायर हो जाएंगे। गौर करने वाली बात है कि ये वही फाइटर जेट हैं, जिनके क्रैश होने के किस्से भी आम हो चले थे।

कब भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था मिग-27: सबसे पहले बताते हैं कि मिग-27 फाइटर जेट भारतीय वायुसेना में कब शामिल हुए थे। दरअसल, बात है साल 1981 की। सोवियत रूस से मिग श्रेणी के विमानों की खरीद हो रही थी, तब 1981 में पहली बार मिग-27 भारतीय वायुसेना में शामिल किए गए। ये उस दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट था। हवा से जमीन पर हमला करने के मामले में कोई इसका सानी नहीं था। रूस से लाइसेंस मिलने के बाद एचएएल ने कुल 165 मिग-27 बनाए थे। वहीं, 86 विमान अपग्रेड भी किए थे। इस फाइटर जेट की अधिकतम स्पीड 1700 किमी प्रति घंटा रही और यह एक साथ चार हजार किलो हथियार ले सकते हैं।

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38 साल की देश की सेवा: डिफेंस के प्रवक्ता कर्नल संबित घोष ने बताया, ’38 साल देश की सेवा करने के बाद 27 दिसंबर को 7 मिग-27 का स्कॉड्रन जोधपुर एयरबेस से अपनी आखिरी उड़ान भरेगा। इसके बाद ये प्लेन देश में कहीं भी उड़ान नहीं भर सकेंगे।’ वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया, ‘जोधपुर एयरबेस से रिटायर होते ही मिग-27 न सिर्फ भारत में इतिहास का हिस्सा बन जाएगा, बल्कि पूरी दुनिया में यही इसकी आखिरी उड़ान होगी। इसकी वजह है कि अब कोई भी देश मिग-27 का इस्तेमाल नहीं करता।’ हालांकि, वायुसेना ने अभी तय नहीं किया है कि रिटायर हो रहे मिग-27 प्लेन का क्या किया जाएगा?

इंजन की खराबी बनी बड़ी परेशानी: हमला करने में सबसे बेहतरीन माने जाने वाले इस विमान का इंजन आर-29 हमेशा परेशानी का सबब बना रहा। इंजन की तकनीकी खामी पूरी तरह से कभी दूर नहीं की जा सकी। यही कारण है कि इस विमान के क्रैश होने की घटनाएं बहुत ज्यादा हुईं। पिछले 10 साल की बात करें तो हर साल 2 विमान हादसे का शिकार बने। इस वजह से मिग विमानों को हवा में उड़ता ताबूत तक कहा गया। इन हादसों को लेकर ही मिग पर एक बॉलीवुड मूवी भी बनी थी रंग दे बसंती।

पहले इन विमानों को किया गया था रिटायर: बता दें कि इंडियन एयरफोर्स को 42.5 लड़ाकू स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन अभी 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन ही हैं। जैसे-जैसे मिग फेज आउट हो रहे हैं, उनकी स्क्वाड्रन नंबर प्लेट्स हो रही हैं। यानी बिना विमान के स्क्वाड्रन का पूरा रिकॉर्ड सील कर जाता है। नए विमान आने के बाद स्क्वाड्रन को दोबारा एक्टिव कर दिया जाता है। जोधपुर में 2 साल पहले मिग 21 बायसन और एक साल पहले मिग 27 की स्क्वाड्रन नंबर प्लेट्स हो चुकी हैं। अब आखिरी मिग 27 की स्क्वाड्रन भी नंबर प्लेट्स हो रही हैं। नए विमान आने के बाद यहीं स्क्वाड्रन ऑपरेशनल होंगी।

सुखोई-तेजस ले सकते हैं जगह: एयरफोर्स में राफेल का इंडक्शन हो चुका है, लेकिन सभी 36 विमान आने में दो साल से ज्यादा वक्त लगेगा। वहीं, स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का प्रोडक्शन काफी स्लो है। माना जा रहा है कि जोधपुर में तीन स्क्वाड्रन के लिए तेजस या सुखोई 30 एमकेआई विमान मिग की जगह ले सकते हैं।