प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी ड्रीम प्रोजेक्ट पीएम किसान मानधन योजना (PM Kisan Mandhan Yojana) के तहत लगभग 75 फीसदी किसानों को अबतक पूरा लाभ नहीं मिल सका है। दिसंबर 2018 में लागू की गई इस योजना के एक साल बाद भी प्रति दस किसानों में से तीन से भी कम को इस योजना के तहत पूरी किश्त मिल रही है। मालूम हो कि इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 2000 रुपये की तीन किश्त के जरिए 6 हजार रुपये दिए जाते हैं। ‘द वायर’ में छपी एक खबर के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव के बाद इस योजना के तहत किसानों को किश्त देने की गति में कमी देखी गई है। आरटीआई में सामने आया है कि योजना के लागू होने के एक साल के भीतर सिर्फ 26.6 फीसदी किसानों को ही पूरी किश्त मिली है।
वहीं लगभग 75 फीसदी किसानों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल सका है। सरकार ने योजना के लिए 14.5 करोड़ किसान परिवारों कोलाभ देने का है लक्ष्य रखा है। कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण की तरफ से आरटीआई के जवाब में जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक 44 फीसदी किसानों को अबतक कुल 2 किश्त ( 4 हजार रुपये) मिल चुकी है। 52 फीसदी किसानों को एक किश्त (2 हजार रुपये) मिली है। ये किश्त सरकार ने दिसंबर 2018 से दिसंबर 2019 के बीच जारी की है। सरकार के संभावित लाभार्थियों में से लगभग 48% को पीएम किसान योजना के लागू होने के पहले वर्ष में एक भी किस्त नहीं मिली।
इस योजना के पहले फेज में जितने किसानों का पंजीकरण हुआ लोकसभा चुनाव के बाद इसमें धीमी गति देखने को मिली है। पहले फेज में सरकार के पास 5 हफ्ते (24 फरवरी से 31 मार्च 2019) थे और इस दौरान 4.74 करोड़ किसानों को जोड़ लिया गया। हालांकि दूसरे फेज में 3.08 और तीसरे फेज में 1.19 किसानों को ही पंजीकृत किया गया। हालांकि चुनाव के बाद इस योजना में कम किसानों का पंजीकरण होने के पीछे सरकार ने आधार सत्यापन की बोझिल और अक्सर त्रुटि-रहित प्रक्रिया को बताया है। दरअसल दस्तावेजों की हेरफेर का ‘फर्जी किसान’ इस योजना का फायदा न उठा लें इसके लिए सरकार ने आधार लिंकिंग को इस योजना के लभार्थियों के लिए चुनाव के बाद अनिवार्य कर दिया था।
बता दें कि गरीब किसानों की मदद के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत कुल 43 हजार करोड़ (करीब 50 फीसदी) रुपये खर्च किया गया है। चालू वित्त वर्ष यानी 2019-20 के खत्म होने से पहले मोदी सरकार किसानों के खातों में 7 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की तैयारी में है। यानि कि अगले दो महीनों में किसानों के खाते में किश्तें ट्रांसफर की जा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने इस योजना के लिए 75 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।