मोदी सरकार ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल करते हुए किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया। उनकी जगह राजस्थान के अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। इस फैसले से कई लोग हैरान रह गए क्योंकि ना कोई चर्चा हुई, ना अटकलें लगी और सीधे इतना बड़ा फेरबदल कर दिया गया। अभी के लिए रिजिजू को भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया है।
रिजिजू खुश हैं या दुखी, पता चल गया
अब कानून मंत्रालय छिनने के बाद रिजिजू की पहली प्रतिक्रिया भी आ गई है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगे का विजन बता दिया है। वे कहते हैं कि विपक्ष तो जरूर मेरी आलोचना करेगा, उनका मेरे खिलाफ बोलना कोई नई बात नहीं है। लेकिन मैं एक बात साफ कर दूं कि ये शिफ्टिंग मेरे लिए कोई सजा नहीं है। ये तो सरकार की आगे की कोई बड़ी योजना है। ये तो प्रधानमंत्री मोदी का विजन है।
क्यों छिना कानून मंत्रालय?
जब रिजिजू से सवाल किया गया कि क्या न्यायपालिका को लेकर उनके द्वारा लगातार दिए गए बयानों की वजह से उन्हें हटा दिया गया, इस पर उन्होंने कोई भी जवाब देना ठीक नहीं समझा। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि मुझ से पिछले मंत्रालय को लेकर अब कोई सवाल ना पूछे जाएं, मेरे लिए अब उनका कोई महत्व नहीं है। अब रिजिजू जरूर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार बढ़ती तल्खी को कम करने के लिए ये कदम उठाया गया।
मेघवाल पर डबल जिम्मेदारी
जानकारों का तो यहां तक कहना है कि कानून मंत्री रहते हुए कई मामलों में कोर्ट में सरकार का पक्ष ज्यादा मजबूती के साथ नहीं रखा गया, इसी वजह से रिजिजू को पद से हटा दिया गया। अभी के लिए किरेन रिजिजू ने भू मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल ली है। वहीं अर्जुन राम मेघवाल ने भी कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है। उन्हें तो कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी देखा गया था। जानकारी के लिए बता दें कि मेघवाल संसदीय मामलों और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री की अपनी जिम्मेदारी के साथ कानून मंत्रालय का काम देंखगे।