शराब कारोबारी विजय माल्या घोड़ों और विंटेज गाड़ियों में खासा दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने इसके अलावा टीपू सुल्तान की असली तल्वार करोड़ों रुपए में खरीदी थी।

‘जी टीवी’ पर आने वाले टॉक शो ‘जीना इसी का नाम है’ में फारूख शेख से बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर बात की थी। बताया था कि बचपन में उनके दादा जी डॉक्टर थे, इसलिए वह खुद (माल्या) भी सोचते थे कि वह एक डॉक्टर बन सकते हैं। वह इस दौरान गुड़िया पर सांकेतिक सर्जरी किया करते थे।

घोड़ों से जुड़े अपने लगाव पर कहा था- स्कूल के दिनों से घोड़ों में रुचि थी। हमारे कुछ दोस्त घुड़सवारी किया करते थे। दोस्त नफीसा अली भी जॉकी थीं। जब मैं कॉलेज में था, टॉलीगंज क्लब से मैंने लीज पर लिया था और उसे कलकत्ता के मेन रेस कोर्स में दौड़ाया…वह काफी सफल रहा। मेरा पैसा भी बना। मैं घोड़ों की रेस में हिस्सा लेता हूं। पर मैंने कभी जुआ नहीं खेला और न ही खेलूंगा।

उनकी दोस्त और पेशे से अदाकारा नफीसा अली के मुताबिक, “माल्या सबसे महंगे घोड़े खरीदा करते थे और कहते थे कि लोग कुछ भी कहें पर मुझे फर्क नहीं पड़ता।” बकौल माल्या, “जीवन में कोई हारना नहीं चाहता। मैं तो ये नहीं कहूंगा कि घोड़ा खरीदकर और उसे दौड़ाकर अपनी आय बढ़ाना चाहता हूं। घोड़ा हम तब लेते हैं, जब वह दो साल का होता है। तीन साल की उम्र में वह भागने लगता है। घोड़े को बड़े प्यार से ट्रेन करना पड़ता है।”

एक घोड़े के साथ उद्योगपति विजय माल्या व अन्य। (एक्सप्रेस आर्काइव फोटोः महेंद्र पारिख)

रंगीन कपड़े पहनने को लेकर उन्होंने बताया था, “शौक था…लाल, नारंगी और पीले सरीखे रंग-बिरंगे कपड़े पहनने का। फैशन में मेरी हमेशा से रुचि रही है।”

लेखिका शोभा डे ने इसी कार्यक्रम में माल्या को देशभक्त करार दिया था। किस्सा बताया था, “टीपू सुल्तान की तलवार की बोली को लेकर माल्या से किसी ने पूछा था कि बोली में क्या लगाया जाए? जवाब दिया था- बेशकीमती चीजों की बोली नहीं लगाई जाती। उसे लाने के लिए जो कुछ भी लगे लगाया जाए, क्योंकि हमें उसे भारत लाना है। और, आज यह तलवार उनके पास है।”

माल्या ने आगे बताया था- यह हमारे इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। टीपू और अपने देश के इतिहास में कोई फर्क तो है नहीं। खुशी की बात है कि टीपू की तलवार अब घर पहुंच गई है।