लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने मालेगांव विस्फोट को लेकर 2008 में एटीएस द्वारा उनके ‘अपहरण और टॉर्चर’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी जांच के लिए एक याचिका दायर की है। पुरोहित, जो कि 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोट में आरोपी हैं, ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें महाराष्ट्र एंटी टेरोरिज्म स्कवॉयड (एटीएस) द्वारा टार्चर किया गया था और उनके उपर बयान देने के लिए दवाब बनाया गया था। अपनी याचिका के माध्यम से पुरोहित ने कहा कि, “जो कुछ भी उन्होंने कहा था, उन्हें टार्चर कर और दबाव बनाकर कहलवाया गया था।” यहां बता दें कि 2014 से पुरोहित यह दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा जो कथित तौर पर कबुल किया गया है, वह एटीएस के दवाब में किया गया। इस मामले की न्यायालय के निगरानी में गठित एसआईटी से जांच होनी चाहिए ताकि उन्हें न्याय मिल सके। हालांकि, सूचीबद्ध होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के जज ने सोमवार (27 अगस्त) को इस मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।
2008 Malegaon blasts case: Lt Col Purohit has filed a plea before the Supreme Court seeking SIT probe in the matter of his “abduction and torture” by ATS in 2008 (File pic) pic.twitter.com/Tk2mGZ8KQj
— ANI (@ANI) August 27, 2018
गौर हो कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के धार्मिक रूप से संवदेनशील इलाके मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें छह लोग मारे गए थे। इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित सहित अन्य को अरोपी बनाते हुए 4000 पन्नो की चार्जसीट दायर की थी। इससे पहले एक स्पेशल मकोका कोर्ट ने कहा था कि एटीएस ने पुरोहित, ठाकुर और नौ अन्य लोगों को मकोका के तहत गलत तरीके से फंसाया गया था।
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट में आरोपी कर्नल पुरोहित को जमानत दी थी। करीब नौ साल जेल में रहने के बाद वे जमानत पर बाहर आए। वारदात में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए पुरोहित ने अदालत से कहा था कि अगर यह मान भी लिया जाए कि उस पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उसे जेल से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध की भी अधिकतम सजा सात साल है, जो वह पहले ही काट चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत याचिका का विरोध किया था। जेल से निकलने के समय सेना की गाड़ी उन्हें लेने आयी थी।