पश्चिम बंगाल चुनाव 2021: चुनाव प्रचार के लिए खास तौर पर तैयार किया गया कोई ओरिजन गाना शायद ही इतना लोकप्रिय हुआ हो, जितनी लोकप्रियता तृणमूल कांग्रेस नेता देवांशु भट्टाचार्य के कंपोज किए गए रैप ‘खेला हबे‘ को मिल रही है। दीदी तो दीदी, आलम ये है कि नीचे से लेकर ऊपर तक, किसी भी टीएमसी नेता को अपनी चुनावी सभा में जोश भरना हो तो बस ये नारा लगाना ही काफी है…
टीएमसी ही नहीं, ‘अबकी बार 200 के पार‘ का नारा लगाने वाली बीजेपी को भी खेला होबे की काट खोजनी भारी पड़ रही है…18 मार्च को अपनी एक चुनावी सभा में पीएम मोदी ने खुद, खेला हबे के जवाब में कह दिया ‘दीदी बोले खेला हबे–बीजेपी बोले चाकरी यानि नौकरी हबे, दीदी बोले खेला हबे–बीजेपी बोले विकास हबे, दीदी बोले खेला हबे–बीजेपी बोले अस्पताल हबे‘
जब इतने से भी बात नहीं बनी तो नंदीग्राम सीट पर बीजेपी की ओर से ममता बनर्जी का मुकाबला कर रहे शुवेंदु अधिकारी ने कह दिया कि “इस नारे का इस्तेमाल करके टीएमसी बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती है…” दरअसल शुवेंदु अधिकारी ऐसा बेवजह नहीं बोल रहे थे… टीएमसी का खेला हबे गीत भले ही देवांशु भट्टाचार्य ने तैयार किया हो, मगर खेला हबे का नारा टीएमसी का ओरिजनल नहीं बल्कि बांग्लादेश की राजनीति से उधार लिया हुआ है…
खेला हबे का बांग्लादेश कनेक्शन: दरअसल पश्चिम बंगाल चुनावों के लोकप्रिय नारे की जन्मभूमि बंगाल नहीं बांग्लादेश है। 2017 में बांग्लादेश के नारायणगंज से सांसद शमीम उस्मान ने एक सभा में सबसे पहले खेला हबे का नारा उछाला…और कुछ ही समय बाद पश्चिम बंगाल की बीरभूमि के टीएमसी जिलाध्यक्ष अनुब्रता मंडल ने इसे लपक लिया। वो अनुब्रता थे, जिन्होंने एक कार्यक्रम में सबसे पहले टीएमसी की ओर से नारा दिया ‘खेला हबे, भयंकर खेला हबे, ई माटी तेई खेला हबे‘ मतलब खेल होगा, खतरनाक खेल होगा और वो खेल इसी जमीन पर खेला जाएगा…
क्या हैं गीत के मायने: दरअसल जब बीजेपी ने देशभर के अपने सारे दिग्गज नेताओं को बंगाल की रणभूमि में उतार दिया तो उसकी काट निकालने के लिए टीएमसी के युवा नेता देवांशु भट्टाचार्य ने अनुब्रता मंडल के चुनावी नारे को गीत की शक्ल दे डाली…गाने की पहली चार पंक्तियां भी इसी बंगाली बनाम बाहरी की पार्टी लाइन पर फोकस हैं। “बाइरे थेके बोर्गी आसे, नियम कोरे प्रतिमासे, आमियो आशी, तुमियो रोइबे, बंधु एबार खेला हबे” जिसका मतलब है.. “बाहर से हर महीने नेता बंगाल आ रहे हैं, हम भी यहीं रहेंगे, तुम भी यहीं रहोगे, नतीजों के दिन असली नतीजा निकलेगा“
जब लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी खेला हबे की काट नहीं निकाल पाई तो आखिरकार 18 मार्च की सभा में पीएम मोदी को खुद कहना पड़ गया…”दीदी ओ दीदी, खेला शेष हबे, विकास प्रारंभ हबे”
