महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने पुरस्कार/सम्मान लौटाने वाले लेखकों, फिल्म निर्माताओं और वैज्ञानिकों पर निशाना साधा है। उन्होंने उनसे पूछा है कि अब से पहले कई घटनाएं हुईं, तब उन सबने अपना सम्मान क्यों नहीं लौटाया था? सीएम ने सवाल किया- 2010 में केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ ईशनिंदा करने के आरोप में काट डाला गया था। तब ‘अवार्डवापसी’ क्यों नहीं की गई?
सितंबर 2006 में महाराष्ट्र के खैरलांजी में अगड़ी जाति के लोगों ने चार दलितों की हत्या कर दी थी। फड़णवीस ने पूछा उस घटना के बाद लेखक, फिल्मकार, वैज्ञानिक पूरी तरह शांत क्यों बैठे थे? 2002 में गोधरा में हुई हत्याओं के बाद अवॉर्ड क्यों नहीं लौटाए गए? मुख्यमंत्री ने अवॉर्ड लौटाने के कदम को पक्षपात से प्रेरित बताया और कहा कि अगर लेखक-फिल्मकार-वैज्ञानिक पक्षपाती हो जाएंगे तो यह अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दादरी में जो कुछ हुआ वह समाजवादी पार्टी के शासन वाले उत्तर प्रदेश में हुआ। उसके लिए भाजपा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
बता दें कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश के दादरी के बिषाहड़ा गांव में भीड़ ने 55 साल के मोहम्मद अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उस पर एक अफवाह फैलने के बाद हमला बोला गया था। अफवाह यह थी कि उसने गौमांस खाया और घर में रखा था। करीब 40 लेखकों और 12 फिल्मकारों ने देश में कट्टरता बढ़ने के खिलाफ अपना सम्मान लौटा दिया है। उनका कहना है कि दादरी की घटना के अलावा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी, मूर्तिपूजा के खिलाफ आवाज उठाने वाले गोविंद पनसारे और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर जैसे लोगों की हत्या हुई जो इस बात का सबूत है कि देश में कट्टरता बढ़ रही है और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।
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