केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल का नाम बदलकर केरलम करने का विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया है। 9 अगस्त को केरल विधानसभा ने इस बिल को पारित किया है। सीएम विजयन ने कहा कि मलयालम भाषी इस राज्य का नाम केरलम रखने की मांग स्वतंत्रता आंदोलन के वक्त से ही कर रहे हैं लेकिन 1 नवंबर 1956 को जब भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया तब संविधान की पहली सूची में हमारे राज्य का नाम केरल रख दिया गया। संवैधानिक तौर पर किसी भी राज्य का नाम बदलना इतना आसान नहीं होता है। चलिए जानते हैं कैसे राज्य का नाम बदला जाता है।
राज्य का नाम बदलने की क्या है प्रक्रिया?
संविधान के अनुछेद-3 के तहत संसद के पास देश के किसी राज्य का नाम बदलने की ताकत है। केंद्र सरकार खुद चाहे तो राष्ट्रपति की अनुशंसा पर राज्य के नाम में बदलाव का बिल संसद में पेश कर सकती है। अगर कोई राज्य सरकार खुद अपने राज्य का नाम बदलना चाहे तो वह अनुछेद 3 के तहत पहले विधानसभा में इसका प्रस्ताव पेश कर बहुमत से पारित करना होता है। इसके बाद प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति अगर इस प्रस्ताव को उचित समझें तो इस पर केंद्र सरकार को अनुशंसा करने के लिए कहा जाता है। केंद्र सरकार इस बिल को संसद में पेश करती है। बिल दोनों सदन से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही राज्य के नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी जाती है।
केंद्र सरकार ने खारिज किया प्रस्ताव तो क्या होगा?
अगर केंद्र सरकार ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव खारिज कर दिया तो नाम बदलने का बिल संसद में पेश ही नहीं किया जाएगा। संसद में बिल पेश नहीं होगा तो राज्य का नाम भी नहीं बदल पायेगा। बता दें कि साल 2018 में बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसमें पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बंगाल रखे जाने की मांग उठाई गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया था।
अब तक इन राज्यों के बदले गए नाम
- साल 1996 में पंजाब के विभाजन के बाद ईस्ट पंजाब से तीन राज्य बनाये गए थे। विभाजन के बाद हरियाणा, हिमाचल और पंजाब नाम के तीन राज्य बने थे। ईस्ट पंजाब का नाम बदलकर पंजाब कर दिया गया।
- साल 1950 में यूनाइटेड प्रोविन्स का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया था। वहीं साल 2000 में उत्तर प्रदेश का विभाजन कर एक नया राज्य उत्तरांचल बनाया गया।
- साल 2000 में उत्तरांचल बना था और साल 2007 में उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
- साल 1953 को मद्रास प्रेसीडेंसी में रहने वाले तेलुगू भाषी हिस्से को आंध्र स्टेट बना दिया गया। साल 1956 को आंध्र स्टेट का नाम बदलकर आंध्र प्रदेश कर दिया गया।
- साल 1956 में त्रावणकोर- कोचीन का नाम बदलकर केरल कर दिया गया।
- मध्य भारत का नाम साल 1959 में बदलकर मध्य प्रदेश कर दिया गया।
- 1969 में मद्रास स्टेट का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया।
- 1973 में मैसूर स्टेट का नाम बदलकर कर्नाटक रख दिया गया।
- साल 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया।
- 1973 को लक्कदीव, मिनिकॉय और अमनदीवी का नाम बदलकर लक्षद्वीप रखा गया।
- पॉन्डिचेरी का नाम साल 2006 में बदलकर पुडुचेरी कर दिया गया।
राज्य का नाम बदलने में कितना खर्च आता है?
रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी बड़े शहर या राज्य का नाम बदलने में 1,000 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। अनुमान के मुताबिक उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा करने में राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ था। किसी भी राज्य के नाम बदलने की अधिसूचना जारी होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार के सभी कागजातों में राज्य का नाम बदला जाता है। इसके बाद गूगल मैप से लेकर साइन बोर्ड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट हर जगह राज्य का नाम बदलना पड़ता है।
केरल का नाम क्यों बदलना चाहती है राज्य सरकार?
साल 1947 में भारत आजाद हुआ था और 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोच्चि दो राज्य बनाए गए थे। हालांकि इस राज्य के फैसले से मलयाली लोग खुश नहीं थे। मलयाली लोगों ने 3 दशक तक अलग राज्य बनाने की मांग करते हुए आंदोलन चलाय था। आखिरकार साल 1956 में जब भाषाई आधार पर अलग राज्य बनाया गया तो इसका नाम केरल रखा गया था। 9 अगस्त को केरल विधानसभा में पास हुई प्रस्तावना के अनुसार हिंदी और दूसरी भाषाओं में केरलम को केरल कहा जाता है। वहीं मलयाली भाषा में इसका नाम केरलम है। रज्य सरकार की मानें तो केरल का नाम केरलम किए जाने की मांग के पीछे राज्य का उद्देश्य सिर्फ मलयाली लोगों के भाषा, संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देना हैं।