केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST बिल) का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कांग्रेस की जीएसटी बिल में 18 प्रतिशत कैप की मांग से केरल को अलग कर लिया। उन्होंने कहा,”उन्हें नहीं पता कि उन्होंने(कांग्रेस) ने ऐसा संसोधन क्यों मांगा। जीएसटी बिल की राह में खड़े होने का उन्हें कोई कारण नजर नहीं आता।” इसाक का बयान हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली की राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ हुई बैठक के तीन दिन बाद आया है।
इसाक ने कहा कि उनके राज्य को जीएसटी से फायदा होगा और सीपीएम जीएसटी रेट पर कैप लगाने के कांग्रेस के प्रस्तावित संसोधन को स्वीकार नहीं करेगी। बता दें कि यह बिल लोकसभा से पास हो चुका है लेकिन राज्य सभा में एनडीए गठबंधन के पास बहुमत नहीं है। इसके कारण अटका हुआ है। इसाक ने बताया, ”उस तरीके से राज्यों के अधिकार हमेशा के लिए छुप जाएंगे। जैसे स्थानीय सरकार के लिए प्रोफेशनल टैक्स, इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसलिए हम विरोधस्वरूप हमारे संसोधनों को उठाएंगे लेकिन हम बिल की राह में बाधा नहीं बनेंगे।”
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उन्होंने कहा कि केरल जैसे राज्यों के लिए जीएसटी वरदान साबित होगा। हालांकि सीपीएम जीएसटी बिल के विरोध में नहीं है लेकिन उसका मानना है कि कुछ नियमों से देश के संघीय ढांचे पर विपरीत असर पड़ेगा। इस बारे में इसाक का कहना है, ”सीपीएम राज्यों के अधिकारों की संक्षिप्त करने की आलोचना करती है। लेकिन ऐसा तो वेट लागू करने के समय ही कर दिया गया था।” उन्होंने कहा कि वेट के लागू होने से राज्य दूसरे राज्यों से प्रतिस्पर्धा करने का अधिकार खत्म हो चुका है। बकौल इसाक, ”आप इसके खिलाफ विद्रोह भी नहीं कर सकते। मान लीजिए आपके यहां ज्यादा रेट है तो लोग सीमा पार के ले आएंगे और आप एंट्री टैक्स भी नहीं लगा सकते।”
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उन्होंने कहा, ”इसलिए हम पहले ही यह अधिकार खो चुके हैं। लेकिन जीएसटी के मामले में आप कुछ खो नहीं रहे। दूसरी तरफ आपको सर्विस टैक्स में हिस्सेदारी मिलेगी। वेट को देखते हुए जितना जल्दी जीएसटी को लाया जाए उतना बढि़या। हालांकि राज्यों की कमाई ज्यादा नहीं बढ़ेगी लेकिन 5 साल तक उन्हें मुआवजा मिलेगा। साथ ही यह कहना है कि राज्यों को 9 और केंद्र को 8 प्रतिशत टैक्स मिलेगा। हम इसे 10 और 8 प्रतिशत करना चाहते हैं।
जीएसटी के जरिए पूरे देश में एक जैसा मार्केट बनाने का मकसद है। इसके लागू होने पर राज्यों में लगने वाले अलग-अलग टैक्स समाप्त हो जाएंगे। साथ ही इसमें केंद्र और राज्यों के सारे टैक्स यानि एक्साइज, वेट और सर्विस टैक्स शामिल होंगे।