कहते हैं कि जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड। आम लोगों के साथ ये बात कई बार खरी उतरती दिखी है,। लेकिन केरल हाईकोर्ट के जज के साथ भी ऐसी ही स्थिति बन पड़ी है जिसमें वो पांच साल से न्याय की बांट देख रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमल रिड्रेसल फोरम में उनकी शिकायत 2018 से लंबित है, लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं आ रहा। ये स्थिति तब है जबकि शिकायतकर्ता खुद हाईकोर्ट का जज है। आम आदमी की तो सुने कौन।
ये वाकया तब का है जब जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस केरल हाईकोर्ट में वकालत करते थे। वो अपने दोस्तों के साथ स्कॉटलैंड गए थे। उनका इरादा वेस्ट हाईलैंड वे में ट्रैकिंग करने का थ, लेकिन कतर एयर लाइंस की वजह से उनके साथ कुछ ऐसी स्थिति बनी कि वो हाथ मलते रह गए।

5 महीने पहले ही बुक कर ली थी फ्लाइट की टिकट

2018 में जस्टिस थॉमस एक वरिष्ठ अधिवक्ता थे और केरल हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने अप्रैल महीने में अपने दोस्तों के साथ वेस्ट हाईलैंड वे ट्रैकिंग के लिए स्कॉटलैंड का ट्रिप प्लान किया, जिसके लिए उन्होंने पांच महीने पहले यानी दिसंबर, 2017 में एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड के लिए फ्लाइ

ट भी बुक कर लीं। कोच्चि से एडिनबर्ग जाने के लिए उन्हें बीच में दोहा रुकना था। पहले वे कोच्चि से दोहा पहुंचे और फिर यहां से एडिनबर्ग के लिए दूसरी फ्लाइट थी। हालांकि, दोहा से जब दूसरी फ्लाइट लेनी थी, तो जस्टिस थॉमस और उनके चार दोस्तों को बताया गया कि कतर एयरलाइंस की ओर उन्हें उतारा जा रहा है क्योंकि उन्होंने फ्लाइट को ओवरबुक कर लिया है।

इस पर थॉमस जस्टिस ने उन्हें कहा कि ओवरबुकिंग एक गलत प्रैक्टिस है। उन्होंने एयरलाइन को यह भी बताया कि टिकट बुकिंग 5 महीने पहले की गई थी। इसके बाद भी उन्हें फ्लाइट पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद एयरलाइन की तरफ से जस्टिस और उनके दोस्तों के लिए एयरपोर्ट पर ही एक होटल में रहने की व्यवस्था की गई और अगले दिन उन्हें एडिनबर्ग के लिए फ्लाइट दी। हालांकि, एयरलाइन की इस गड़बड़ी की वजह से उनका ट्रैकिंग प्लान खराब हो गया।

जस्टिस थॉमस ने की 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग, 4 साल बाद मामले में शुरू हुई कार्रवाई

जस्टिस थॉमस ने अपनी शिकायत में बताया कि एयरलाइन ने इस असुविधा कि लिए उन्हें 250 अमेरिकी डॉलर का वाउचर दिया था। जस्टिस थॉमस के अनुसार यह राशि उनके नुकसान के लिए पर्याप्त नहीं थी और उन्होंने एक महीने बाद कतर एयरलाइन को कानूनी नोटिस भेजा जिस पर कोई जवाब नहीं मिला। बाद में उन्होंने एर्नाकुलम जिला आयोग का दरवाजा खटखटाया और 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। हालांकि, इस पर 4 साल बाद कार्रवाई शुरू की गई। उन्होंने कतर एयरलाइन से उन यात्रियों की सूची की भी मांग की, जिस पर जस्टिस थॉमस ने बुकिंग की थी। उपभोक्ता अदालत ने 30 दिसंबर, 2022 को जस्टिस थॉमस के आवेदन को स्वीकार कर लिया।

इसके बाद कतर एयरलाइंस ने इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, इसे खारिज कर दिया गया और मामला अब घटना के लगभग 5 साल बाद 1 मार्च, 2023 को विचार के लिए आगे बढ़ाया गया है। जस्टिस थॉमस का मामला उन अनगिनत मामलों में से एक है जो भारत में विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में लंबित पड़े हैं।