केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने अपने एक अंतरिम आदेश में कैथोलिक पादरी थॉमस कोट्टूर और नन सेफी की उम्र कैद की सजा को निलंबित कर जमानत दे दी है। बता दें कि दोनों को 2020 में सीबीआई अदालत ने सिस्टर अभया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था। मालूम हो कि अभया की लाश 27 मार्च 1992 को कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में एक कुएं के अंदर मिली थी।

इस मामले में न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयचंद्रन की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला आने तक दोनों को जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी है। बता दें कि दिसंबर 2020 में तिरुवनंतपुरम की एक सीबीआई अदालत ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

दोनों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत आरोप लगाए गए थे। वहीं निचली अदालत ने एक अन्य कथित आरोपी फादर जोस पुथरिकायिल की आरोपमुक्त करने की याचिका को स्वीकार कर लिया था। बता दें कि सिस्टर अभया ने कोट्टूर और सेफी को अंतरंग अवस्था में देख लिया था। जिसके बाद उन्होंने अभया पर कुल्हाड़ी के हैंडल से हमला किया गया था।

निचली अदालत के फैसले की जांच करने के बाद, केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रिहाई को लेकर कहा, “हम दो आरोपियों को अंतरिम उपाय के रूप में रिहा नहीं कर सकते। हालांकि इस मामले में हुई अपील पर फैसला आने तक उनकी सजा को निलंबित कर सकते हैं।”

क्या है मामला: सीबीआई के अनुसार कोट्टायम में पायस एक्स कॉन्वेंट हॉस्टल की रसोई के अंदर अभया ने कोट्टूर, पुथरिकायिल और सेफी को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। उन्हें डर था कि सिस्टर अभया इस घटना का खुलासा कर देगी। ऐसे में कोट्टूर ने उसका गला घोंट दिया, जबकि सेफी ने कथित तौर पर उसे कुल्हाड़ी से मारा। दोनों ने मिलकर अभया के शव को परिसर के एक कुएं में फेंक दिया।

शुरुआत में पुलिस ने इसे आत्महत्या मानते हुए केस को बंद कर दिया लेकिन बाद में लोगों के आक्रोश के कारण मामले को CBI को सौंप दिया गया था।